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कलुआ को काटने और महिलाओं को छेड़ने के आरोप में आजीवन उम्र कैद

250 से अधिक लोगों को काटा : 4 साल से कैद लेकिन व्यवहार न बदलने पर सजा रहेगी यथावत 

मिर्जापुर । देश की अदालतों में अपराधियों को उम्रक़ैद की सज़ा मिलने की कई दास्तानें आपने सुनी होंगी.लेकिन, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कानपुर में एक बंदर को भी उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।यह बंदर कानपुर चिड़ियाघर में सलाख़ों के पीछे क़ैद है और ताउम्र इसे यहीं बितानी है।दरअसल, यह बंदर 250 से अधिक लोगों को काट चुका है। इसके अलावा यह महिलाओं के छेड़छाड़ भी करता था। उनके पास जाकर अजीब आवाजें निकालता था और उन्हें पकड़ने की कोशिश करता था। जिसके चलते इस बंदर को पिंजड़े में क़ैद किया गया है।इसके साथ ही चिड़ियाघर के डाक्टर लगातार इसके व्यवहार पर नज़र रख रहे हैं।

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मिर्जापुर में बन गया था आतंक का पर्याय
कानपुर प्राणी उद्यान (Kanpur Zoo) के अस्पताल परिसर में पिंजड़े में बंद इस बंदर का नाम कलुआ है.इसे 2017 में मिर्जापुर से पकड़ कर यहां लाया गया है।मिर्जापुर में यह बंदर आतंक का पर्याय बन चुका था।आलम यह था कि सरकारी आंकड़ों में इसने ढाई सौ से अधिक लोगों को काटा.इसमें एक शख्स की मौत भी हो गई थी।बंदर के बढ़ते आतंक के चलते इसको पकड़ने के लिए वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम लगाई गई।काफी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने बंदर को पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी।

चार साल से व्यवहार में कोई सुधार नहीं: डॉक्टर
इसके बाद इसे कानपुर प्राणी उद्यान में भेज दिया गया।जहां से काफी समय तक आइसोलेशन में रखा गया।पिंजड़े में कैद बंदर की चार साल से गतिविधियों को डॉक्टर और विशेषज्ञ आब्जर्व कर रहे हैं। लेकिन इसके व्यवहार में अभी तक किसी भी तरह की नरमी या सुधार देखने को नहीं मिला है.जिसके चलते इसे ताउम्र पिंजड़े में ही कैद रखने का फैसला लिया गया है।

तांत्रिक ने पाला, शराब के साथ खिलाता था मांस
मिर्जापुर में इस बंदर को एक तांत्रिक ने अपने पास पाला था,जो इसे पीने के लिए शराब भी देता था।तांत्रिक की मौत के बाद बंदर आजाद हुआ तो उसने तांडव मचाना शुरू कर दिया।चिड़ियाघर के डॉ. मो. नासिर ने बताया कि कलुआ को यहां लाए हुए चार साल हो गए है।तब से ही वह पिंजडे में बंद है.इतने दिनों तक अकेला रहने के बाद भी उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।इसकी उम्र तकरीबन सात साल है।