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किस्सा बालीवुड के खतरनाक लायन अजित का

किताब बेचकर घर से भागे थे अजीत, मुंबई में सीमेंट की पाइप में सोते-सोते बन गए बॉलीवुड के ‘लॉयन’

अभिनय की दुनिया में वैसे तो न जाने कितने कलाकार हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही हैं जो इस चकाचौंध भरी दुनिया में अपना खास मुकाम बना पाए। सिनेमा के मंझे हुए खिलाड़ी अपनी दमदार अदाकारी और अपने निराले अंदाज के कारण दर्शकों के पर्दे ही नहीं बल्कि दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर छा गए।

‘लॉयन’ की दहाड़ से खौफ खाते थे दर्शक
अभिनय का उसूल है कि जिस किरदार को निभाओ उसमें जान डाल दो, फिर चाहे वो हीरो का या विलेन का, या फिर इनके इतर कोई सहायक किरदार ही क्यों न हो। हीरोज की एक्टिंग तो सभी देखना पसंद करते हैं, लेकिन भारतीय सिनेमा ने सिने प्रेमियों को एक से बढ़कर एक खलनायक भी दिए हैं। इन्हीं में से एक का नाम वो है, जिसकी दहाड़ से सिनेमा हॉल में भगदड़ मच जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

खलनायिकी को याद करता है जमाना
जी हां, हिंदी सिनेमा के ‘लॉयन’ कहलाने वाले अजीत शायद आपको याद होंगे। उनके डायलॉग के मुताबिक वही अजीत जिन्हें ‘सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है…’। 1976 में आई एनएन सिप्पी द्वारा निर्मित फिल्म ‘कालीचरण’ में उनकी खलनायिकी को भला कौन भूल सकता है।

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एक्टिंग के लिए घर छोड़कर भागे थे अजीत
27 जनवरी 1922 को हैदराबाद के गोलकुंडा में जन्में अजीत जब पैदा हुए तो माता पिता उनकी किस्मत से अनजान थे। तब किसे पता था कि वो फिल्मों का रुख लेंगे। मां बाप में बेटे का नाम हामिद अली खान रखा था। बाद में फिल्मी दुनिया ने उन्हें अजीत बना दिया। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई की नामपल्ली हाई स्कूल से और वारंगल के कॉलेज से आगे की शिक्षा हासिल की। कम ही लोगों को पता होगा कि अभिनय के लिए अजीत घर से भागकर मुंबई पहुंचे थे। उनपर एक्टिंग का जुनून इस कदर सवार था कि अपनी किताब तक बेच डाली थी।

सीमेंट की पाइप में रहे थे अजीत
हामिद अली खान अभिनय करने मुंबई तो पहुंच गए, लेकिन उनके पास रहने का ठिकाना नहीं था। उन मुश्किल भरे हालात में उन्हें काफी समय तक सीमेंट की पाइपों में रहना पड़ा था। उस समय मुंबई में सीमेंट की पाइप में रहने वालों से भी हफ्ता वसूली होता था और जो नहीं देता उसे निकाल दिया जाता था। लेकिन अजीत बचपन से अपने अंदाज के लिए जाने जाते थे। उन्होंने लोकल गुंडे को हफ्ता देने से मना कर दिया, जिसके बाद दोनों में जमकर मारपीट हुई। इस मारपीट में अजीत गुंडों पर भारी पड़े। फिर क्या था अजीत के डर से लोग उन्हें खाना पानी मुफ्त में पहुंचाने लगे।

‘खलनायक’ ने की थीं तीन शादियां
फिल्मों के मशहूर खलनायक अजीत ने तीन शादियां की थीं। पहली शादी उन्होंने लव मैरिज की थी, लेकिन अलग धर्म होने के कारण कुछ समय बाद उनकी शादी टूट गई। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी शाहिदा से की। इस जोड़ी के तीन बेटे हुए, जिनका नाम जाहिद अली खान, शाहिद अली खान और आबिद अली खान है। पत्नी शाहिदा की मौत के बाद उन्होंने तीसरी शादी की, जो लव मैरिज थी। तीसरी पत्नी का नाम सारा था। उनसे उन्हें दो बेटे हुए, जिनका नाम शहजाद खान और अरबाज अली खान है।

1940 में करियर की शुरुआत
अजीत ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 1940 में की थी। उनकी पहली फिल्म का नाम ‘शाहे मिश्रा’ था। कुछ समय तक उन्होंने बतौर हीरो फिल्मों में काम किया, लेकिन उनका सिक्का नहीं जम पाया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाना शुरू कर दिया। खलनायिकी के किरदार ने उन्हें मनचाहा मुकाम हासिल करवा दिया। 1966 में आई फिल्म ‘सूरज’ से उन्होंने विलेन की पारी की शुरुआत की थी। इसमें उनको विलेन में रोल में काफी पसंद भी किया गया था।

काफी फेमस हुए उनके डायलॉग
‘सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है’ और ‘इस शहर में मेरी हैसियत वही है, जो जंगल में शेर की होती है।’ बॉलीवुड में अजीत के एक नहीं बल्कि कई ऐसे डायलॉग हैं जो हिट हुए थे। उनमें से ‘मोना डार्लिंग’ और लिली डोंट बी सिली’ जैसे डायलॉग आज भी खूब सुने जाते हैं।

200 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय
अजीत ने अपने फिल्मी करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। लेकिन उनको असली पहचान फिल्म ‘कालीचरण’ से मिली थी। उन्होंने ‘राजा और रंक’, ‘प्रिंस’, ‘जीवन-मृत्यु’, ‘धरती’, ‘जंजीर’, ‘यादों की बारात’, ‘कहानी किस्मत की’, ‘खोटे सिक्के’, ‘चरस’, ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘देस परदे’, ‘आजाद’ जैसी फिल्मों में काम किया। 22 अक्टूबर 1998 को वो दुनिया को अलविदा कह गए।