कॉलेज की फीस भरने के लिए मजदूर बनी छात्रा, मनरेगा में किया काम
सत्तारूढ़ बीजद की सामाजिक सेवा शाखा ‘ओडिशा मो परिवार’ के सदस्यों ने हाल ही में लोजी को उसकी शिक्षा के लिए 30,000 रुपये का चेक सौंपा है| लोजी बेहरा की मेहनत और लगन के लिए उसकी प्रशंसा करते हुए पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने कहा कि वह उसे जिले में नौकरी दिलाने की कोशिश करेंगे|
भुवनेश्वर. कोई भी काम छोटा नहीं होता, यह कहना है ओडिशा की एक इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक 22 वर्षीय छात्रा लोजी बेहरा का. लोजी बेहरा ने कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसा कमाने के वास्ते मनरेगा योजना के तहत एक मजदूर के रूप में काम किया| एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुई बेहरा ने पुरी के देलांग प्रखंड में निर्माण स्थल पर 20 दिनों तक 207 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी पर काम किया| क्योंकि वह कॉलेज की फीस भरने और अपना डिप्लोमा प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए पैसा इकट्ठा करना चाहती थी| कॉलेज ने उसे शुल्क का बकाया राशि चुकाने के लिए कहा था|

भुवनेश्वर स्थित एक निजी कॉलेज की छात्रा की दुखद स्थिति को पहली बार एक स्थानीय समाचार चैनल ने रिपोर्ट किया जब वह सड़क निर्माण स्थल पर मिट्टी ढो रही थी| उसकी कहानी जल्द ही सुर्खियों में आ गई, जिसके बाद जिले के अधिकारी मदद के लिए उसके पास पहुंचे. कुछ ही समय बाद, कॉलेज प्रशासन प्रमाण पत्र के साथ उसके घर पर पहुंचा|

अपने काम के लिए नहीं महसूस की शर्मिंदगी
एक राजमिस्त्री की बेटी बेहरा ने कहा, ‘जो काम मैं कर रही थी, उसके लिए मुझे कभी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई| कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगा होगा, लेकिन मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि मुझे शर्म क्यों आनी चाहिए| मैंने सामुदायिक सड़क विकास परियोजना के लिए काम किया और 207 रुपये प्रति दिन कमाए|
बहनें भी करती हैं यहीं काम
22 वर्षीय लड़की के साथ उसकी दो बहनें भी निर्माण स्थल पर काम कर रही थीं, जिनमें से एक बीटेक की पढ़ाई कर रही है| लोजी पांच बहनें हैं| छात्रा ने कहा, ‘मुझे अपने कॉलेज की फीस का भुगतान करने के लिए पैसे की जरुरत थी इसके रूप में पैसे कमाने का एक अच्छा अवसर मिला| मेरे कॉलेज के अधिकारियों ने मुझे 44,500 रुपये के छात्रावास शुल्क का भुगतान नहीं करने पर मेरा प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था| मेरे पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं. हम पांच बहनें हैं…. मैं केवल 20,000 रुपये जमा कर सकी थी|