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600 दिन से बंद स्कूल 21 दिन पहले खुले फिर शिक्षकों की कमी से पढाई हुई ठप्प :कारण शिक्षकों का हड़ताल

रायपुर। रायपुर में पिछले साल 2020 में 18 मार्च को कोरोना का पहले केस मिला और अगले ही दिन लॉकडाउन लग गया। उसी दिन से स्कूल बंद हो गए। करीब 600 दिन बाद 1 दिसंबर को स्कूल सौ फीसदी उपस्थिति के साथ खुले। 10 दिन ही पढ़ाई हुई और 11 दिसंबर से सहायक शिक्षक स्कूलों का बहिष्कार कर बूढ़ातालाब के सामने धरने पर बैठ गए। हड़ताल से प्राथमिक शालाओं में पढ़ाई पूरी तरह से ठप है। बच्चे केवल औपचारिकता निभाने स्कूल आकर जा रहे हैं। कहीं कहीं मिडिल और हाई स्कूल के टीचर पढ़ाने की खानापूर्ति कर रहे हैं।

प्राथमिक शालाओं में पढ़ाई ठप होने से रायपुर के 297 स्कूलों में कक्षा पहली और दूसरी में दाखिला लेने वाले बच्चों की स्थिति लॉकडाउन जैसी हो गई है। पिछले साल जो बच्चे कक्षा पहली में थे, वे इस साल कक्षा दूसरी में पहुंचे हैं। पिछले सत्र में अधूरी पढ़ाई हुई। इस सत्र में अब तक स्कूल बंद रहे। अब जब सौ फीसदी उपस्थिति के साथ स्कूल जाने का मौका मिला लेकिन अब टीचरों ने पढ़ाई ठप कर दी। इससे बुरी स्थिति इस साल कक्षा पहली में दाखिला लेने वाले बच्चों की है। शिक्षा विदों का कहना है कि बच्चों ने क ख ग घ पढ़ना शुरू किया गया था, टीचरों की हड़ताल से उनकी पढ़ाई भी बंद हो गई।

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शिक्षा विभाग की ओर से सहायक शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन ज्यादा असर नहीं हो रहा है। विभाग की ओर से हड़ताल अवधि का वेतन काटने का आदेश जारी किए गए। उसके बाद रायपुर में केवल एक दर्जन सहायक शिक्षकों ने ही उपस्थिति दी। बाकी स्कूलों में बहिष्कार चल रहा है। जिला शिक्षा विभाग ने हालांकि मिडिल स्कूल के शिक्षकों को पढ़ाने का निर्देश दिया है। इससे ऐसे स्कूल जहां मिडिल और प्रायमरी की कक्षाएं एक ही भवन में संचालित हो रही हैं, वहां बच्चों को पढ़ाई की औपचारिकता निभाई जा रही है। ऐसे स्कूल भवन जहां केवल प्राथमिक शालाएं ही संचालित होती हैं, वहां बच्चों को पढ़ाने की खानापूर्ति भी नहीं हो रही है।

शिक्षकों के बराबर वेतन की मांग
स्कूलों का बहिष्कार करने वाले सहायक शिक्षक अपना वेतन शिक्षकों के बराबर करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सहायक शिक्षकों और शिक्षकों के वेतनमान में 12 हजार तक का अंतर है। वे इसी अंतर को दूर करने मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। अब नए वेतनमान की मांग को लेकर सहायक शिक्षक एलबी ने नया माेर्चा बनाया है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा, छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे और संयुक्त शिक्षक संघ अध्यक्ष केदार जैन आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।