सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को कभी प्रतिद्वंदी रहे अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के मुखिया शिवपाल सिंह यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की।
लखनऊ। अखिलेश यादव गुरुवार को चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात करने लखनऊ स्थित उनके आवास पर पहुंचे। करीब 45 मिनट लंबी चली मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन तय हो गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके बताया कि दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन तय हो गया है। उन्होंने लिखा कि प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात से पहले ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव शिवपाल के घर में मौजूद थे। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों के बीच कितनी सीटों पर रजामंदी बनी है लेकिन अब साफ है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में अखिलेश और शिवपाल यादव साथ साथ होंगे। शिवपाल यादव की तरफ से कई बार गठबंधन और विलय की पेशकश की जाती रही लेकिन अखिलेश की तरफ से इस पर हमेशा चुप्पी रही।

साल 2016 के अंत में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा तथा कैबिनेट मंत्री शिवपाल के बीच सत्ता और संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी और विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा अध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था।
हालांकि शिवपाल शुरू से ही सभी समाजवादियों के एकजुट होने की पैरवी कर रहे थे और उन्होंने सपा से गठबंधन का संदेश भी कई बार पहुंचाया था। अखिलेश ने भी विभिन्न मौकों पर कहा कि वह सरकार बनने पर चाचा और उनके सहयोगियों का पूरा सम्मान रखेंगे। मगर उन्होंने गठबंधन के बारे में अपना रुख कभी स्पष्ट नहीं किया था।
इस बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शिवपाल और अखिलेश की इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया “साल 2022 में एक बार फिर 300 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की सुशासन वाली सरकार बनने जा रही है। चाचा भतीजे मिलें, चाहे बुआ भतीजे मिलें, चाहे कांग्रेस और सपा मिलें या फिर सारे मिल जाए तब भी खिलना तो कमल ही है।”