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निगम की 38 लाख रूपए की स्मार्ट लाइब्रेरी में 15 लाख रुपये मरम्मत की ज़रूरत

ओपनिंग के अगले ही दिन निगम चुनाव की आचार संहिता:पहली स्मार्ट लाइब्रेरी 38 लाख में बनाई पर खुली नहीं, 2 साल में जर्जर, अब 15 लाख से होगी मरम्मत

रायपुर। राजधानी के आनंद नगर में दो साल पहले 38 लाख रुपए खर्च कर बनाई गई पहली स्मार्ट लाइब्रेरी शुरू होने से पहले ही जर्जर में तब्दील होने लगी है। दिलचस्प ये है कि अब इसे फिर से सुधारने के लिए 15 लाख रुपए का नया प्लान तैयार हो गया है। इन 15 लाख रुपयों में लाइब्रेरी में फर्नीचर जैसी सुविधाएं भी बनानी हैं। वहीं, पार्क में आने वाले लोगों के लिए साढ़े सात लाख रुपए खर्च कर योगा शेड भी बनेगा।

राजधानी में नगर निगम चुनाव यानी 2019 से पहले यह लाइब्रेरी तैयार कर ली गई थी। यहां युवा, बुजुर्ग और बच्चों के लिए किताबों के साथ डिजिटल रीडिंग का इंतजाम भी किया गया। करीब 22 लाख रुपए खर्च कर इस लाइब्रेरी का 1200 वर्गफीट में दोमंजिला भवन बनाया गया। इसमें ग्राउंड फ्लोर का हॉल बच्चों और बुजुर्गों के लिए बना। पहली मंजिल में युवाओं के लिए पढ़ने के इंतजाम किए गए। सारे इंतजाम तैयार करने के बावजूद दो साल से लाइब्रेरी शुरू नहीं की गई। आसपास के लोगों ने स्थानीय विधायक और पार्षद से लेकर सभी से लाइब्रेरी शुरु करने की गुहार लगाई, लेकिन यह नहीं खुली। भास्कर टीम मौके पर पहुंची तो आसपास के लोगों ने बताया कि चूंकि भवन जर्जर जैसा हो रहा है, इसलिए यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी लगने लगा है।

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5 कंप्यूटर थे, कहां गए पता नहीं दीवारों का रंग रोगन तक उखड़ा
आनंद नगर इलाके का यह पार्क जोन-3 में आता है। यहां के पूर्व पार्षद अजीत कुकरेजा के मुताबिक महापौर-पार्षद निधि और स्मार्ट सिटी जैसी दूसरी एजेंसियों की मदद से स्मार्ट लाइब्रेरी प्लान की गई। तब किश्तों में 38 लाख रुपए खर्च किए गए। इसमें बिल्डिंग तो बनी ही, 5 कंप्यूटर भी लगे थे। इसका उद्घाटन किया था, लेकिन अगले दिन से चुनावी आचार संहिता लग गई, इसलिए लाइब्रेरी का संचालन बंद कर दिया गया। भास्कर टीम बुधवार को शहर की पहली स्मार्ट लाइब्रेरी में पहुंची तो हालात चौंकाने वाले थे। पांच कंप्यूटर लगे थे, लेकिन अब नहीं हैं। बुजुर्गों-बच्चों के लिए इनडोर खेल के सामान रखा था और कुछ किताबों के साथ फर्नीचर भी था, पर अब कुछ नहीं है। 15 लाख के नए फंड में एक योगा शेड जरूर बनाया गया है। बाकी काम अब भी अधूरे नजर आ रहे हैं।

पहली सार्वजनिक स्मार्ट लाइब्रेरी दो साल से केवल खर्च हो रहा
पड़ताल में पता चला है कि दो साल पहले इस स्मार्ट लाइब्रेरी के 38 लाख खर्च की योजना बनाई गई थी। उस फंड से चुनाव से पहले इसे लोकार्पण के लायक बना लिया, लेकिन अगले ही दिन इस पर ताला जड़ना पड़ा। क्योंकि यह तय नहीं था कि इसका संचालन कौन और कैसे करेगा। संचालन के लिए यहां के लोगों की एक समिति बननी थी, जो आज तक नहीं बनी। कुछ दिन तक केयर टेकर के पास चाबी रही, बाद में इसके ताले ऐसे खुले कि बंद नहीं हुए और दो साल में जर्जर जैसी स्थिति आ गई। अब अफसरों का कहना है कि लाइब्रेरी के लिए नया फंड मिला है। इससे बिल्डिंग का रेनोवेशन होगा। भास्कर टीम को यहां के लोगों ने बताया कि वे जल्द लाइब्रेरी शुरू करना चाहते हैं, ताकि एक खास तरह की सुविधा मिले।

लाइब्रेरी जर्जर तो नहीं हुई, पर कुछ काम जरूर अधूरा है। इसलिए नया फंड मिला है। इससे लाइब्रेरी के साथ पार्क में आ रहे लोगों को योगा शेड जैसी नई सुविधाएं दी जाएंगी।
-आरके डोंगरे, कमिश्नर जोन-3