रायपुर । राज्य शासन ने दागी और अक्षम अफसरों को जबरिया रिटायरमेंट (कंपल्सरी रिटायरमेंट) देने की चार साल से बंद फाइल फिर खोल दी है। इसके तहत ऐसे अफसरों की कुंडली निकाली जा रही है, जिनकी उम्र 50 वर्ष और नौकरी 20 साल से पार हो चुकी है तथा वे किसी न किसी वजह से दागी और अस्वस्थता के कारण अक्षम साबित हुए हैं। इसके लिए 2003 से 2021 बैच तक के 132 आईएएस अफसरों का सर्विस रिव्यू किया जा रहा है।

मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने दो दिन पहले इसकी शुरुआत कर दी है। कमेटी ने पूरे अफसरों में से उनके नाम छांटकर अपनी टीप भी दी है, जो दागी और अक्षम वाले क्राइटेरिया में आ रहे हैं। गौरतलब है कि 20 साल की सेवा और 50 साल की आयु पूरी कर चुके दागी अफसरों या सेवा देने में अक्षम अफसरों को फोर्सली रिटायर करने का चलन यूपीए-2 के समय चालू हुआ और मोदी सरकार ने भी जारी रखा है।

प्रदेश में फोर्सली रिटायर करने के लिए बनी कमेटी की पहली बैठक में 2003 से 2021 बैच के आईएएस अफसरों का सर्विस रिव्यू किया गया। इस दौरान कई खामियां भी मिलीं। साथ ही, यह ब्योरा भी मांगा जा रहा है कि इन अफसरों के खिलाफ लोकायोग, ईओडब्लू, एसीबी, ईडी और सीबीआई में कोई मामला तो नहीं चल रहा है, या मामला चल रहा है तो क्या स्थिति है? यदि दोष सिद्ध हो चुका है तो उसका ब्योरा भी लिया जा रहा है।
एक आईएएस और तीन आईपीएस
रमन सरकार में छत्तीसगढ़ के एक आईएएस और तीन आईपीएस अफसरों को फोर्सली रिटायर किया जा चुका है। आईएएस बीएल अग्रवाल को भ्रष्टाचार के मामले में और डीआईजी स्तर के 2000 बैच के एएम जूरी को पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने पर और 2002 बैच के आईपीएस केसी अग्रवाल को कोयला चोरी के मामले में हटाया गया था।
इसके अलावा 92 बैच के आईपीएस राजकुमार देवांगन को भी 12 जनवरी 2017 को कंपल्सरी रिटायर कर दिया गया था। देवांगन पर जांजगीर एसपी रहते हुए डकैती में संलिप्त रहने की बात सामने आई थी। इसके अलावा आईपीएस केसी अग्रवाल को भी कंपल्सरी रिटायर करने का आदेश जारी हुआ था, बाद में वे कोर्ट से जीतकर बहाल हुए थे।