किसान महापंचायत की शान होंगे राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर
दिल्ली | केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन कानूनों के खिलाफ 10 महीने से चल रहा आंदोलन दूसरे प्रदेशों में भी फैलने लगा है। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ 28 सितंबर को राजिम के कृषि उपज मंडी परिसर में किसान महापंचायत करने जा रहा है। तैयारियों को लेकर सोमवार को रायपुर में महासंघ की बैठक हुई। महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत, डॉ. दर्शन पाल सिंह, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर और डॉ. सुनील आ रहे हैं।

रायपुर में हुई आयोजन समिति की बैठक के बाद छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया कि 28 सितंबर को भगत सिंह की 125वीं जयंती है। उस दिन छत्तीसगढ़ के मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी का शहादत दिवस भी है। एक दिन की यह पंचायत सुबह 11 बजे से शुरू हो जाएगी। किसान नेता जागेश्वर जुगनू चंद्राकर ने बताया, महापंचायत के लिए अभी तक आसपास के 100 से अधिक गांवों में बैठक कर ली है। किसान नेताओं का कहना है, महापंचायत में 10 हजार से अधिक किसानों के जुटने की अपेक्षा की जा रही है। छत्तीसगढ़ में किसान महापंचायत की घोषणा 24 और 25 अगस्त को दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर हुए किसान संगठनों के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में हुई थी।
आंदोलन में 650 किसानों की जान गई

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के नेताओं ने कहा, तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाले कानून की मांग करते हुए 26 नवम्बर 2020 से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। 10 महीने के इस आंदोलन के दौरान 650 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है। किसान नेताओं ने कहा, मांगे पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
लागत बढ़ रही लाभकारी मूल्य तो मिलता ही नहीं
किसान नेताओं ने कहा, साल दर साल फसलों की उत्पादन लागत बढ़ रही है। इसके बाद भी फसलों का लाभकारी मूल्य कभी नहीं मिलता। सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी लाभकारी मूल्य नहीं होता, उसके बाद भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर फसल बेचना पड़ती है। नए कानून में सरकार यह बात कह रही है, किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है। लेकिन इसकी कानूनी गारंटी कोई नहीं देता कि उत्पादन लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय होगा और मंडी के भीतर या बाहर तय मूल्य से कम में खरीदी होने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
राजिम में ही क्यों हो रही है पंचायत
किसान नेताओं का कहना है, राजिम को इसलिए चुना गया है कि वह चार जिलों गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी और रायपुर का जंक्शन है। दूसरे जिलों के किसान भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। बरसात की संभावना को देखते हुए किसान संगठन खुले में आयोजन से परहेज कर रहे थे। राजिम के मंडी परिसर में बड़े-बड़े शेड हैं। यहां बरसात के बावजूद पंचायत जारी रखी जा सकती है।