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विहिप ने मनाया अपना 57वां स्थापना दिवस

विहिप बजरंगदल ने केंद्रीय विशेष संपर्क प्रमुख माननीय शिवनारायण सिंह जी के साथ किया साझा

दुर्ग । विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अपना 57 वाॅ स्थापना दिवस केंद्रीय विशेष संपर्क पमुख आदरणीय शिवनारायण सिंह जी के दुर्ग आगमन पर प्रांताध्यक्ष संतोष गोलछा जी,प्रांतसंयोजक रतन यादव जी,विभाग मंत्री अनिल गुज्जर जी की उपस्थिति में मनाया गया  कर मनाया।

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केंद्रीय विशेष संपर्क पमुख आदरणीय शिवनारायण सिंह जी ने संगठन के पदाधिकारियों को जानकारी देते हुए विश्वहिंदू परिषद के कार्य एवं सन् 1964 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा विश्व हिन्दू परिषद का गठन हिन्दू धर्म की रक्षा और उसके उत्थान के लिए किया था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक और हिदुस्थान समाचार के संस्थापक दादासाहेब आप्टे जी ने समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में कार्य करने वाली सज्जन शक्तियों को एक बैठक हेतु बुलाया। यह बैठक 29 अगस्त 1964 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर पवई, मुम्बई स्थित पूज्य स्वामी चिनमयानन्द जी के आश्रम सांदीपनि साधनालय में बुलाई गई। इसमें पूज्य स्वामी चिनमयानन्द, राष्ट्रसंत तुकडो जी महाराज, सिख सम्प्रदाय से माननीय मास्टर तारा सिंह, जैन सम्प्रदाय से पूज्य सुशील मुनि, गीता प्रेस गोरखपुर से हनुमान प्रसाद पोद्दार, के. एम. मुंशी तथा पूज्य श्री गुरुजी सहित 40-45 अन्य महानुभाव भी उपस्थित थे। इसी दिन इन महा-पुरुषों ने विश्व हिंदू परिषद के गठन की घोषणा कर दी।

 राकेश शिंदे(बजरंगी) ने कहा कि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना एवं गौ माता की रक्षा के लिये धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए परिषद का गठन हुआ है। हिन्दू धर्म की रक्षा व अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण के लिए यदि हमें प्राणों की आहुति देना पड़े, तो भी हम पीछे नहीं हटते। स्वतंत्रता के पश्चात सेक्युलरवाद के नाम पर हिन्दू समाज के साथ बढ़ते अन्याय तथा ईसाईयों व मुसलमानों के तुष्टीकरण के बीच 1957 में आई नियोगी कमीशन की आंखें खोल देने वाली रिपोर्ट ने हिन्दू समाज के कर्णधारों की नींद उड़ा दी। रिपोर्ट में ईसाई मिशनरियों द्वारा छल, कपट, लोभ, लालच व धोखे से पूरे देश में हिंदुओं के धर्मांतरण की सच्चाई सामने आने के बावजूद केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए प्रभावी केंद्रीय कानून बनाने से स्पष्ट मना कर दिया। इसके अलावा हिन्दू समाज में भी अनेक आंतरिक संघर्ष चल रहे थे जिनके कारण भी देश का संत समाज चिंतित था। विदेशों में रहने वाला हिन्दू समाज भी अपनी विविध समस्याओं के समाधान हेतु भारत की ओर ताक तो रहा था किन्तु केंद्र सरकार के हिन्दुओं के प्रति उदासीन रवैए के कारण वह भी निराश था। ऐसे में हिन्दू समाज के जागरण और संगठन की आवश्यकता महसूस होने लगी।

अपुर्व सिंह,बंटी पवार,रघुवीर साहू,मयंक उमरे,रवि भारती,पप्पू मानिकपुरी, रवि बंजारे,आकाश साहू,लक्ष्मन यादव,कुलेश्वर यादव,उमेश रजक,अनूप सिंह,विनय यादव, सचिन पाटने,दुर्वासा मेश्राम,कार्तिक त्रिपाठी,शंकर चौहान,नारायण साहू,कुणाल हिरवानी,गौरव साहू,अजित राजपूत,के के वर्मा,अनिल सोनी,प्रकाश धीवर, भूपेश यादव,प्रताप सिंह यादव,सूरज यादव,रवि ठाकुर,नागेंद्र निर्मलकर,आशीष पांडेय,योगेश जोशी,विश्वनाथ जोशी,विशाल तिवारी,प्रतीक सोनी,उपस्थित थे।