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देवी मां को फल-फूल नहीं बल्कि चढ़ाए जाते हैं गोटियाँ पत्थर

मातारानी को बहुत  पसंद है खेतों में मिलने वाले गोटा पत्थर 

खमतराई  (बिलासपुर)। अक्सर देखा जाता है कि भगवान के चरणों मे लोग सिर झुकाते हैं और अभिषेक करते हैं लेकिन बिलासा की नगरी में एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ देवी माँ को पत्थर चढ़ाया जाता है।बिलासपुर में एक ऐसी  भी देवी माँ का मंदिर है जहाँ पर भक्त माता रानी के दरबार मे पत्थर चढ़ाते है। आपको सुनकर बहुत ताज्जुब लगेगा कि देवी दरबार में अभिषेक करने के बजाय लोग पत्थर चढ़ा कर आपने मन की मुरादे मांगते हैं। खमतराई ग्राम पंचायत में स्थित माँ जगतजननी के मंदिर में ये मान्यता है कि उन्हें पत्थर अर्पित करने के बाद पत्थर कहा जाता है किसी को पता नहीं चलता।

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खमतराई बगदाई मंदिर में वन देवी को पांच पत्थर चढ़ाने की अनोखी प्रथा यहां सदियों से चली आ रही हैं। इस मंदिर में भक्त माला, पूजन सामग्री लेकर नहीं, बल्कि यहां पांच पत्थर रखकर मां को प्रसन्न करते है और मां से अपनी मनोकामना कहते हैं। यहां मान्यता हैं कि मां वन देवी के मंदिर में सच्चे मन से पांच पत्थर चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जरुर पूर्ण होती हैं। मंदिर की अनोखी परंपरा के बारे में जानकर दर्शन करने और मनोकामना मांगने केे लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

मां वन देवी को पांच चमकदार पत्थर चढ़ाए जाते हैं। इस चमकदार पत्थर को छत्तीसगढ़ी में चमरगोटा कहा जाता है और ये नदी में, रेत में मिलता है। इस मंदिर में पांच पत्थर चढ़ाने की प्रथा सदियों पुरानी है। इसी के चलते यहां स्थापित वन देवी की प्रतिमा चारों ओर से पत्थरों से घिरी दिखाई देती है, यह मंदिर जिस स्थान पर अभी है वहां कभी जंगल हुआ करता था।

कभी नहीं हुई पत्थर की कमी

सालों से पत्थर चढ़ाने के दौरान मंदिर में बेहद अजीब बात भी सामने आई है। यहां आसपास के क्षेत्र में नदी नहीं होने के बाद भी चमकीले पत्थरों की कोई कमी नहीं हुई। लगातार पत्थर पिछले कई वर्षों से चढ़ाए जा रहे है फिर भी इन पत्थरों को खोजने की जरूरत नही पड़ती वो वहां आसानी से मिल जाते है।यहां के पुजारी को भी नहीं पता कि आखिरकार यह परम्परा कब औऱ किसने शुरू की उनकी माने तो उनके पूर्वजो को भी नही मालूम यह प्रथा कैसे शुरू हुई।