- नोएडा में भी मौत के बाद एक शख्स का शव कई घंटे घर में पड़ा रहा, पड़ोसी घर छोड़कर भाग गए
- परिवार ने पुलिस से मदद मांगी तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाया, बेटी ने मुखाग्नि दी
जौनपुर/ग्रेटर नोएडा|कोरोना महामारी का खौफ लोगों पर इस कदर हावी है कि वे रिश्ते-नाते और इंसानियत तक भूलते जा रहे हैं। हालत ये है कि किसी की नेचुरल डेथ के बाद भी श्मशान तक शव ले जाने के लिए चार कंधे मिल पाना मुश्किल हो रहा है। उत्तर प्रदेश में ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं। जौनपुर में एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद कोरोना के डर से गांव वालों ने मुंह मोड़ लिया। ऐसे में बेबस पति बिना कफन के ही शव को साइकिल पर रखकर गांव के बाहर नदी के किनारे अंतिम संस्कार के लिए पहुंच गया।

लोगों को इस पर भी आपत्ति थी तो वे मौके पर पहुंच गए और अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। इस बारे में सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को वापस घर लाया गया। इसके बाद कफन मंगवाकर पूरे रीति-रिवाज के साथ वाहन से शव को श्मशान भिजावाकर अंतिम संस्कार कराया गया।
जौनपुर के मड़ियाहूं कोतवाली इलाके के अंबरपुर गांव निवासी तिलकधारी सिंह की पत्नी राजकुमारी (55 साल) की तबीयत खराब थी। जिसके बाद तिलकधारी मंगलवार को पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां राजकुमारी की मौत हो गई। पत्नी की मौत के बाद अस्पताल से शव एंबुलेंस से घर पहुंचा दिया गया। लेकिन घर पर शव पहुंचते ही ग्रामीणों ने कोरोना के डर से मुंह मोड़ लिया और अपने दरवाजे बंद कर लिए। शव की स्थिति खराब होती देख पति ने अकेले ही अंतिम संस्कार करने का संकल्प लेकर पत्नी के शव को साइकिल पर लादा और नदी के किनारे पहुंच गया।


नोएडा में भी पुलिस ने कराया अंतिम संस्कार
नोएडा के सेक्टर-19 में रहने वाले 52 साल के एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई थी। उनका शव कई घंटे घर में पड़ा रहा। पड़ोसी मदद की बजाए घर छोड़कर भाग गए तो सेक्टर-20 कोतवाली की पुलिस मौके पर पहुंची। मृतक की बेटी और मां के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे अंतिम संस्कार कर सकें। ऐसे में पुलिस ही मदद के लिए आगे आई और अंतिम संस्कार करवाया। इसके लिए पुलिसकर्मियों ने कंधों पर लकड़ियां ढोकर चिता सजाई। मृतक की बेटी ने शव को मुखाग्नि दी।

