मां-बाप की छोटी सी गलती के चलते उत्तराखंड में चली गई 158 नाबालिग बच्चों की जान
उत्तराखंड यातायात निदेशालय द्वारा जारी डेटाबेस के मुताबिक, प्रदेश में बीते तीन साल में 158 नाबालिग बच्चों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है. इतना ही नहीं, करीब 325 नाबालिग बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
देहरादून| राज्य में बीते 3 सालों में करीब 158 नाबालिगों की जिंदगी जवानी की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही सड़कों पर दम तोड़ गई. ये वो बच्चे हैं जिनके हाथों में उनके ही परिजनों में एक्सीलरेटर थमा दिया था. ये वो नादान बच्चे थे जो हवा से बातें करते हुए मौत से टकरा गए. उत्तराखंड यातायात निदेशालय ने बीते तीन सालों में एक्सीडेंट से हुए मौतों और घायलों का डेटाबेस जारी किया है जो कि बहुत ही चौंकाने वाला है. डेटाबेस के मुताबिक, उत्तराखंड में बीते तीन साल में 158 नाबालिग बच्चों की मौत केवल एक्सीडेंट से हुई है और करीब 325 नाबालिग बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं. कारण केवल यह है कि इन बच्चों के परिजनों ने उनके हाथों में गाड़ियां थमा दी थीं. तेजी से ड्राइविंग के चलते इन मासूमों ने सड़कों पर दम तोड़ दिया.

वर्ष मृतक घायल
2018 बालक – 53 बालक- 68
बालिका – 23 बालिका – 32

2019 बालक – 36 बालक – 118
बालिका-18 बालिका – 48
2020 बालक – 23 बालक – 36
बालिका -05 बालिका – 24
भले ही मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते पकड़ा जाता है तो वाहन स्वामी को इसका खामियाजा भुगतना होगा. नाबालिग के गाड़ी चलाने पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना होगा और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा. इसके बाद, नाबालिग का ड्राइविंग लाइसेंस 25 साल से उम्र तक नहीं बनेगा. ट्रैफिक निदेशालय द्वारा जारी किए गए आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं.इस मामले में निदेशक ट्रैफिक केवल खुराना का कहना है कि उनकी तरफ के हर प्रकार की कार्रवाई की जा रही है. कोई भी नाबालिग छात्र वाहन का उपयोग करता हुआ पकड़ा गया तो वाहन सीज के साथ परिजनों पर भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. कई एसे भी मामले पहाड़ी जिलों में देखने को मिलते हैं. जो कि पुलिस डायरी में दर्ज नहीं हैं. अपने बच्चों को वहन देने से पहले जरूर इन आंकड़ों पर गौर करने की जरूरत है कि बच्चे के लिए क्या जरूरी है.