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कैसे बना एक सामान्य पेंटिंग करने वाला पेंटर अजित वैद्य कैसे बना करोड़पति?
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प्रशासनिक सुरक्षा एजेंसियों के लिए जाँच का विषय है अचानक आर्थिक स्थिति में बदलाव?
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कहाँ से किये जा रहे बेहिसाब खर्चे जो पार्टी से निकालते ही पार्षद महोदय अपनी दयनीय स्थिति में आ गये हैं!
दुर्ग ( दबंग प्रहरी समाचार ).जी हां हम जो बात कह रहे हैं वह शहर का एक जाना माना पार्टी के पार्षद रह चुके हैं जिन्हें इस वर्ष हुए नगर निगम के चुनाव में अपने वार्ड से भाजपा पार्षद का टिकट न दिए जाने पर उन्होंने अपना दम दिखाकर काफी लंबी रकम खर्च कर चुनाव लड़ा और जीत भी लिया लेकिन यह चुनाव में जो राशि उन्होंने खर्च की वह उनके आर्थिक स्थिति के लिए मुसीबत बन चुका है।

अपने पूर्व पार्षद काल में भाजपा पार्षद रहते हुए उन्होंने काफी धन भी अर्जित किया और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से साथ मिलकर प्लाट काटने का भी काम किया और उसमें पैसा भी कमाया लेकिन जिन नेताओं के बदौलत उन्होंने यह पैसा कमाया उनके लिए ही उन्होंने लुटा दिया यानि पार्टी ने उनका अपने प्रचार के लिए भरपूर फायदा उठाया,लेकिन इस वर्ष उनके स्थिति को देखकर भाजपा ने उन्हें उनके नगर निगम शंकर नगर वार्ड नंबर 12 से प्रत्याशी नहीं बनाया क्योंकि पार्टी समझ चुकी थी कि यह व्यक्ति सिर्फ खर्च करने के आदी हैं। इसका भरपूर फायदा भी उठाया यही नहीं पूरे दुर्ग शहर के लगभग सभी बिजली खम्भे में उनके पोस्टर देखने को आज भी मिल जाते हैं जहां भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं के साथ उनका फोटो टंगा हुआ आज भी लगा हुआ है। यह फोटो किसी और को नहीं बल्कि भाजपा के पूर्व पार्षद अजीत वैद्य का है।
आभार प्रदर्शन का विज्ञापन राशि देने में लाचार

अजीत वैद्य उन्हीं धनी व्यक्तियों में शामिल थे जो पूर्व में भाजपा पार्टी में रहते हुए लखपति करोड़पति कहलाते थे अचानक पार्टी से निकाले जाने पर उनकी स्थिति कैसे डांवा डोल हो गई जो उन्होंने अपने जीत पर आभार प्रदर्शन करने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने दिया था जिनकी राशि देने में लगभग 26 -27 बार आनाकानी कर चुके हैं और फिर भी देने का दम उन्होंने नहीं छोड़ा है. उन्होंने अपने आभार प्रदर्शन का हमारे दबंग प्रहरी समाचार पत्र में विज्ञापन की राशि देने में पसीने छूट रहे हैं। जबकि चुनाव हुये लगभग दो माह बीत चुके हैं।
पार्टी के प्रति ईमानदार रहते तो बन जाते एल्डरमैन
दुर्ग नगरिय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अजीत वैद्य से कहा कि वह वार्ड नंबर 12 की सीट अधिकृत प्रत्याशी के लिए छोड़ दें तो उन्हें एल्डरमैन बनाया जा सकता है लेकिन उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा को दिखाते हुए इसे ठुकरा दिया और इस शंकर नगर वार्ड नंबर 12 से निर्दलिय चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी को हराया।नतीजा यह हुआ कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
फिर से पार्टी का फायदा उठाने की कोशिश
आखिर पार्टी का फायदा फिर से कैसे उठाया जाए इस जुगत में लग गए हैं शंकर नगर वार्ड नंबर 12 के पार्षद अजीत वैद्य। जी हां उन्होंने एक-एक करके भाजपा नगरीय निकाय मंत्रीयों को अपने विश्वास में लेना शुरू कर दिया है और यही नहीं इन्हीं के बहाने हुए दुर्ग भाजपा महापौर श्रीमती अलका बाघमार को भी अपने साथ में दिखाने की कोशिश करनी प्रारंभ कर दी है ताकि फिर से वह भाजपा के सदस्य ना रहते हुए, कहा जाए तो आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की मार्ग की ओर बढ़ने की कोशिश शुरू कर दी है