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बिल्हा विधानसभा को कब्जा करने भूपेश ने लगाया जोर

  • बिल्हा विधानसभा अनुसूचित,पिछड़ा बाहुल्य लेकिन कांग्रेस ने सामान्य वर्ग को उतारने का खामियाजा भुगता था ।
  • बिल्हा विधानसभा से राजेंद्र शुक्ला लगभग 27000 हजार वोट से हारे थे।
  • सरकार ने चुनावी वर्ष में अपना खजाना का पिटारा खोल दिया हैं और लगातार विकास के कार्यों को त्वज्जो दे रही है।

बिलासपुर (दबंग प्रहरी ) ।  बिलासपुर जिले की सबसे मजबूत और सबसे बड़ी विधानसभा बिल्हा हमेशा से सुर्खियों में रहा है उसका कारण हैं की यहाँ से भाजपा के कदावर नेता धरमलाल कौशिक लड़ते रहे हैं वर्तमान में भी बिल्हा विधानसभा से विधायक भी हैं और ये क्षेत्र अनुसूचित,ओबीसी बाहुल्य हैं जो चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं लेकिन पिछली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने सामान्य वर्ग को टिकिट दिया था जिसका खामियाजा कांग्रेस ने सीट गंवा कर चुकाया था अब फिर इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले क्या कांग्रेस सामान्य वर्ग पर अपना दांव खेलना चाहेगी की भाजपा की तरह ओबीसी को टिकिट देकर इस मजबूत विधानसभा को हासिल करने का प्रयास करेगी क्योंकि इस विधानसभा से कांग्रेस ने भी ओबीसी को टिकिट दिया था और इस विधानसभा से कांग्रेस का विधायक भी था ।

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*जातिगत समीकरण:-*
बिल्हा विधानसभा सामान्य सीट होने के बाद भी अनुसूचित बाहुल्य सीट मानी जाती है। वहीं पिछड़ा वर्ग में कुर्मी, लोधी, साहू की अच्छी खासी बहुल्यता हैं, इसके अलावा सामान्य वर्ग एवं अन्य जाति के लोग भी यहां निवास करते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कुछ चुनावों से यहां कुर्मी नेताओं पर दांव लगाती आ रही है। लेकिन इस बार दोनो पार्टियां साहू पर दांव खेल सके हैं?

छत्तीसगढ़ में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे भूपेश बघेल की सरकार ने खजाना का पिटारा खोल दिया हैं, छत्तीसगढ़ ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र है सरकार बनाने के लिए इस वर्ग का बहुत बड़ा योगदान हेमशा से रहा है इस लिए भूपेश की सरकार ने ओबीसी बाहुल्य क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया हैं।

भूपेश बघेल ने आने वाले चुनाव को देखते हुए अपनी पूरी तैयारी शुरू कर दी है और सरकार में बैठे मंत्रियों को भी अपने अपने क्षेत्र में दौरा करने को कह दिया हैं उसके साथ ही कार्यकर्ताओ को भी हाथ जोड़ो कार्यक्रम के माध्यम से जनता से सीधे जुड़ने को कह दिया हैं।