*👍अब पहले जैसा नहीं रहा सतना डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल*


हॉस्पिटल में डॉक्टरों की गुटबाजी से मरीजों को हो रही भारी फजीहत*
*एक समय ऐसा था जब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर वार्ड में एडमिट मरीजों को एक नज़र से देखते थे और उनकी कुशलक्षेम पूछते हुए उनका हसते-हसाते इलाज भी किया करते थे, लेकिन हॉस्पिटल में यह व्यवस्था अब ठीक इसके विपरीत बन चुकी है। यहां डॉक्टरों ने वार्डों में अपने-अपने मरीजों को चिन्हित कर रखा है। वार्ड के राउंड में डॉक्टर सिर्फ खुद के द्वारा एडमिट मरीजों की ही कुशलक्षेम पूछते हैं और दीगर मरीजों से इनका कोई सरोकार नहीं होता। वार्ड में एडमिट दीगर मरीज जब परेशानी में इनसे संपर्क करने की कोशिश करता है तो ये उनसे यह कहकर अपना पिंड छुड़ा लेते हैं कि जिस डॉक्टर ने आपको एडमिट किया वहीं देखेंगे। कहने का आशय यह कि मरीजों का हालचाल जानने के मामले में यहां के डॉक्टरों ने मानवता की सारी हदें पार कर दी हैं। हॉस्पिटल में व्याप्त डॉक्टरों की आपसी गुटबाजी के चलते यहां एडमिट मरीजों को मौके-बेमौके तमाम मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। हालत बिगड़ने पर इमर्जेंसी में तैनात डॉक्टर ही मरीजों के सामने बतौर भगवान के रूप में सामने आते हैं। ऐसा भी नहीं कि वार्डों में एडमिट मरीजों के साथ डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे कथित असमानता के व्यवहार की खबर यहां के सीएमएचओ और सीएस को नहीं, बावजूद इसके डॉक्टरों द्वारा अपनाई गई इस व्यवस्था को तोड़ने और मरीजों के साथ असमानता का व्यवहार करने जैसे प्रमुख मुद्दे पर कोई सख्त कदम उठाने के प्रयास नहीं हो रहे। जानकार सूत्रों की मानें, तो हॉस्पिटल में विभागीय उच्चाधिकारियों की शह पर मरीजों के साथ भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टर यह खेल लगातार खेल रहे हैं। जो भी हो, फिलहाल हॉस्पिटल में पदस्थ एक वरिष्ठ चिकित्सक मौजूदा समय पर वार्डों में एडमिट मरीजों के साथ डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे कथित भेदभाव को न सिर्फ गलत ठहराते बल्कि वह यह भी कहते हैं कि उनके जवाने में हॉस्पिटल पर ऐसा बिल्कुल नहीं होता था। डॉक्टर के लिए सभी मरीज एक जैसे होते थे और वे सबको एक ही नजर से देखते थे। इतना ही नहीं, मरीजों की कुशलक्षेम पूछते हुए हसते-हसाते उनका इलाज भी करते थे। मरीज भी डॉक्टरों की कार्यशैली से काफी प्रभावित रहता था। लेकिन अब यहां ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता। लगता है डॉक्टरों में अब इंसानियत नाम की चीज ही नहीं रह गई।