शिक्षा में पिछड़ता एमपी


पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया
मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश मे पिछले 15 वर्षों से और भाजपा की सरकार में यह नारा खूब प्रचलित हुआ था पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया
यह नारा मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भी खूब प्रचलित हुआ ऐसा लगता है कि यह नारा केवल पोस्टर तक ही सीमित रह गया। मध्य प्रदेश से शिक्षा विभाग को लेकर काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। मध्यप्रदेश में ऐसे बच्चे जो आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ कर घर बैठ गए या फिर कहीं चले गए। सर्वे के मुताबिक प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या 3 लाख 55 हजार बच्चे स्कूल छोड़कर कहीं शिफ्ट हो गए हैं जबकि 15 हजार185 बच्चों की मौत हो चुकी है आपको बता दें कि यह आंकड़े कोई मनगढ़ंत आंकड़े नहीं है बल्कि शिक्षा विभाग के एमपी एजुकेशन पोर्टल की 2.0 की रिपोर्ट 2021 ,2022 की रिपोर्ट में दर्ज है।
शिक्षा विभाग 13 लाख78 हजार 520 बच्चों को वापस स्कूल में प्रवेश दिलाने की कवायद में जुटा हुआ है विभाग का दावा है कि उसने अभी तक 9लाख 40 हजार बच्चों का सर्वे करा लिया है उसमें से एक लाख बच्चों को प्रवेश के लिए चिन्हित भी किया गया है सर्वे के मुताबिक प्रदेश के 3लाख 35 हजार बच्चे अपने परिवार के साथ कहीं और शिफ्ट हो गए हैं जबकि 15185 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 1लाख 55 हजार 35 बच्चे बालिका यानी 18 साल से ऊपर के हो चुके हैं सर्वे में 11हजार 3 सौ 77 परिवार गैर मौजूद मिले हैं 2लाख 4 हजार 870 बच्चे पहले से साला में प्रवेशित होना बताए गए हैं हैरान करने वाली बात तो यह है कि ज्यादातर बेटियां पढ़ाई छोड़ कर घर बैठी हुई है वही 30 जून तक स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया चली 30 जून के बाद दाखिले में छूटे बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए सर्वे कराया जाएगा स्कूल छोड़ने के कई कारण बताए गए हैं इनमें ऐसे बच्चे हैं जो आर्थिक तंगी से रोजी रोटी जुटाने में लगे हैं वहीं लड़कियों के साथ परेशानी यह है कि गांव में घरों से स्कूल काफी दूर है यही कारण है कि लड़कियां स्कूल छोड़कर घर में बैठे हैं।