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132 साल पुराने जेएन पांडे स्कूल का इतिहास बना राख 

अग्निकांड  में हजारों पुस्तकों के साथ 1890 का इतिहास भी खाक, कबाड़ की तरह रखे थे ऐतिहासिक दस्तावेज

रायपुर |जेएन पांडे हायर सेकेंडरी स्कूल में 10 जून शुक्रवार की रात अग्निकांड में हजारों पुस्तकों के साथ 1890 का इतिहास भी जलकर खाक हो गया। स्कूल के पिछले हिस्से की कबाड़ हो चुकी पुरानी प्रयोगशाला में किताबों के साथ आजादी के पहले के ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुस्तकों को रख दिया गया था।

आगजनी में तीन कमरों के साथ ऐतिहासिक दस्तावेजों वाले हॉल में भी आग लगी और एक भी दस्तावेज नहीं बचा। पुलिस के साथ शिक्षा विभाग अग्निकांड की जांच कर रहा है। प्रारंभिक जांच के दौरान ही चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। अभी तक की पड़ताल के अनुसार स्कूल का सारा रिकार्ड और पुस्तकों को पिछले हिस्से में स्थित ऑडिटोरियम के पास पुराने हॉल में शिफ्ट कर दिया गया था।

इसी को लाइब्रेरी बना दिया गया था। लाइब्रेरी की शिफ्टिंग के दौरान ही ज्यादातर ऐतिहासिक दस्तावेज और पुरानी किताबें यहां रखवा दिया गया था। जानकारों के अनुसार करीब 120 साल पुराने स्कूलों में उस समय से जुड़े दस्तावेज और कई ऐतिहासिक किताबें थीं। आगजनी में सब जलकर राख हो गईं।

हालांकि कुछ किताबों को लाइब्रेरी में लाेहे की आलमारी में रखा गया था, बाकी वहीं खुले में रख दी गई थी। आगजनी में खुले की रखी किताबें तो दूर आलमारी वाली बुक्स भी नहीं बची। जो किताबें बची हैं, उनके पन्ने आग से ऐसे हो गए हैं कि हाथ में लेते ही फट रहे हैं। पुराना भवन होने के कारण इसकी छत में टिन के शेड पर लकड़ी थी। सबसे पहले छत में ही आग लगने की आशंका जाहिर की जा रही है। उसके बाद ही आग की लपटें नीचे पहुंची।

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अंग्रेजो का बनवाया स्कूल
जेएन पांडे हायर सेकेंडरी स्कूल का निर्माण करीब 1890 में ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था। आजादी के बाद स्कूल को शहर का सबसे गौरवशाली माना जाता था। स्कूल में हॉस्टल तक की व्यवस्था थी। राज्य के कई पूर्व केंद्रीय और राज्य मंत्री यहां से पढ़ाई कर चुके हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति हिदायतुल्ला ने भी यहीं से पढ़ाई की थी। वे जब उप राष्ट्रपति थे तब स्कूल में भव्य शताब्दी समारोह आयोजित किया गया था। उसमें पूर्व उपराष्ट्रपति शामिल हुए थे।

कैमेस्ट्री की प्रयोगशाला वहीं थी 30 साल पहले
अभी जिस हॉल को लाइब्रेरी में तब्दील किया गया है वहां करीब 30 साल पहले लाइब्रेरी थी। इसी से सटे 2 लेक्चर हॉल थे। इसका निर्माण भी ब्रिटिश शासन काल में किया गया था। स्कूल में बदलाव के साथ प्रयोगशाला को वहां से हटा दिया गया।

लेक्चर हॉल का उपयोग भी बंद कर दिया गया। उसके बाद से तीनों हॉल के ताले बंद हो गए। धीरे-धीरे एक हॉल में कबाड़ को शिफ्ट किया गया। बाद में स्कूल सामने वाले हिस्से से हटाकर लाइब्रेरी को यहां लाया गया।

बिजली का ट्रांसफार्मर करीब
स्कूल के जिस हिस्से में आग लगी है वहीं बिजली का ट्रांसफार्मर है। इसी हिस्से से बिजली के कई तार भी गुजरते हैं। इस वजह से प्रारंभिक जांच के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों ने आशंका जाहिर की है कि शार्ट सर्किट से चिंगारी उठी और उसी की आग वायरों में लगी। वायर से आग लाइब्रेरी तक पहुंची और यहां का पूरा स्ट्रक्चर जलकर खाक हो गया।

शिक्षा विभाग ने इन बिंदुओं पर मांगी है रिपोर्ट

  • स्कूल में कितनी किताबें जलकर हुईं खाक।
  • किताबें किस किस तरह की थीं और यहां क्यों रखी गई।
  • किताबों के साथ ऐतिहासिक दस्तावेज भी जले हैं।
  • आग से कितने मूल्य की किताबों व फर्नीचर का नुकसान।