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बाहुबली नेता पर लगा डीएम की हत्या का आरोप

बाहुबली नेता जो जेल में भी करवाता था रंगारंग कार्यक्रम

बिहार का एक बाहुबली नेता जो मौजूदा सीएम नीतीश का करीबी रहा तो उसे पूर्व सीएम लालू यादव  का जानी दुश्मन भी बताया गया। इस नेता का नाम है विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला। मुन्ना को लोग डॉन और दबंग जैसे कई उपनामों से पुकारते हैं।

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बिहार के चर्चित छोटन शुक्ला हत्याकांड के बाद उभरा मुन्ना शुक्ला बाहुबली तो था ही साथ ही उसने राजनीति में खूब धमक दिखाई। मुन्ना शुक्ला रामविलास पासवान और नीतीश कुमार दोनों के करीब रहे फिर दोनों ही पार्टियों से चुनाव जीतकर विधायक भी बने। मुन्ना ने राजनीतिक कद बढ़ाने के साथ रुतबा भी बढ़ाया जिसके कारण वह जेल से भी चुनाव जीतता रहा।

साल 1994 में अपने भाई छोटन शुक्ला की मौत के बाद जुर्म की दुनिया उतरे मुन्ना शुक्ला का नाम गोपालगंज डीएम हत्याकांड में सामने आया। आरोप लगे कि जिस भीड़ ने डीएम की पीट-पीटकर हत्या की थी, उसे मुन्ना शुक्ला ने ही भड़काया था। इसी हत्याकांड में आनंद मोहन सिंह का भी नाम सामने आया था, जिन्हें बाद में सजा भी सुनाई गई थी। दरअसल, छोटन शुक्ला के अंतिम यात्रा के बीच उस समय के गोपालगंज डीएम जी कृष्णैया की गाड़ी गुजर रही थी। जिसके बाद ये घटना घट गई थी।

डीएम हत्याकांड में नाम सामने आने के बाद मुन्ना अपराध का बड़ा नाम बन चुका था। लेकिन मुन्ना को लगता था कि भाई छोटन की हत्या का बदला अभी पूरा नहीं हुआ है। जब 4 दिसम्बर 1994 को छोटन शुक्ला और उसके 4 साथियों को एके-47 से से भून दिया गया था तो आरोप तत्कालीन शिक्षा राज्यमंत्री बृजबिहारी प्रसाद पर लगा था। साल 1998 में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ के परिसर में बृजबिहारी की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई। बृजबिहारी लालू-राबड़ी के बेहद करीबी माने जाते थे और उनकी सरकार में मंत्री भी थे।

बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड ने ही मुन्ना शुक्ला और लालू यादव को आपस में दुश्मन बना दिया। साल 1999 में मुन्ना शुक्ला ने पहली बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए। वहीं साल, 2001 में एक वीडियो सामने आया जिसमें मुन्ना शुक्ला हाथों में हथियार लिए लड़कियों के साथ नाच रहा था।

इसके बाद 2002 में जेल ही चुनाव लड़कर मुन्ना शुक्ला चुनाव जीत गए। वहीं साल 2005 के चुनाव और मध्यावधि चुनाव में जेडीयू के टिकट पर विधायक बने। साल 2009 में एक बार फिर से जेडीयू ने मुन्ना शुक्ला को मैदान में उतारा, लेकिन इस बार उन्हें मात मिली। इसके बाद, मुन्ना शुक्ला ने साल 2010 में अपनी पत्नी अन्नु शुक्ला को लालगंज सीट से जेडीयू का टिकट दिलवाया और वह चुनाव जीत गई।

साल 2012 में मुन्ना पर जेल में रहते हुए ही 2 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप लगे। इसी दौरान मंत्री हत्याकांड में निचली अदालत ने मुन्ना को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन पटना हाई कोर्ट ने 2014 में उन्हें बरी कर दिया। फिर 2015 में एक बार फिर से चुनाव लड़ने उतरा लेकिन सारे अरमानों पर पानी फिर गया। इसके बाद के सालों में उसे धीरे-धीरे सभी पार्टियों ने किनारे पर ला दिया और अब एक माननीय केवल बाहुबली बचा था।