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हौसला : दिव्यांग होने के बाद भी संघर्ष कर अनुराग बनी घर की पालनहार

सुश्री अनुराग ठाकुर एक पैर से दिव्यांग होते हुए स्नातक तक पढाई कर ग्राम पंचायत चीचा के मेट पद पर कार्य करते हुए बहन भाई का विवाह तक सम्पन्न कराया  है 

दुर्ग ।  सुश्री अनुराग ठाकुर गांव के बच्चों के लिए एक आदर्श बनकर उभरी है। आज उनका नाम गांव के प्रत्येक बच्चें के जुबन में है। दिव्यांग होने के बाद भी अनुराग अपने परिवार का सहयोग मनरेगा में मेट का कार्य करते हुए कर रही है। सुश्री अनुराग ठाकुर, ग्राम पंचायत चीचा, जनपद पंचायत पाटन की रहने वाली महिला है।

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अनुराग ठाकुर एक पैर से दिव्यांग है, उनके परिवार में दो बहन एवं एक भाई है। बचपन में ही अनुराग के पिता की मृत्यु हो गई है। अनुराग ने स्नातक तक की पढ़ाई भी की है। अनुराग ने मेट का प्रशिक्षण लेने के उपरान्त मेट का पद अपने गांव में ही ग्रहण किया। आज वो घर के कार्यों में सहयोग भी कर रही है और उसने अपनी बहन और भाई को पढ़ाई कराकर उनका विवाह भी संपन्न किया है। आज गर्व के साथ कहा जा सकता है कि वो घर की मुख्यिा है। ग्रामीण जन बताते है कि मेट बनने के पूर्व अनुराग ठाकुर की परिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। शासन की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा में चयन होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर योजना के तहत कार्य करते हुये, वो अपनी आजिविका का उपार्जन कर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।
सुश्री अनुराग ठाकुर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते आ रही है। कार्य स्थल पर मजदूरों को काम का आबंटन, मस्टर रोल और मजदूरों की हाजिरी और निर्धारित माप का कार्य उसकी द्वारा दक्षतापूर्वक किया जाता है। अनुराग ठाकुर मनरेगा के अलावा स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ भी कार्य करती है। शासन के महत्वूपर्ण योजनाओं में हितग्राही मूलक कार्यों को सीधे हितग्राही तक पहुंचाने के लिए गांव के निवासियों को जानकारी भी प्रदान करती है।