कोरोना के चलते इस बार नहीं मनाया गया पत्थर मेला
मेला कमेटी के सचिव रंजीत सिंह कंवर ने बताया कि सालों से पत्थर मेले का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन बीते दो सालों से कोरोना वायरस के चलते इस मेले का आयोजन सिर्फ सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इस बार भी पत्थर मेले का आयोजन सूक्ष्म रूप से किया गया। इस मेले में राज वंशज के परिवार अपना रक्त मां भद्रकाली को चढ़ाते हैं।
शिमला। दिवाली के दूसरे दिन शिमला से करीब 40 किलोमीटर दूर धामी में होने वाला पत्थर मेला इस बार भी रस्म अदायगी तक सिमटकर रह गया। कोरोना की बंदिशों के चलते इस बार भी पत्थरों का खेल नहीं हुआ।लेकिन धार्मिक रीति रिवाज और रस्में पूरी करने के लिए पत्थर फेंके गए। धामी राज परिवार के उत्तराधिकारी जगदीप सिंह ने मां भद्रकाली का तिलक कर इस रस्म को पूरा किया. मेला स्थल पर न दुकानें सजीं, न ही भीड़ जुटी।


परंपरा के अनुसार दीवाली के दूसरे दिन राज दरबार स्थित नरसिंह देवता और देव कुर्गण के स्थान पर पूजा-अर्चना के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ शोभायात्रा निकाली गई। करीब 50 से 60 लोगों के साथ यह शोभायात्रा भद्रकाली के मंदिर पहुंची। यहां पूजा की गई। उसके बाद खेल का चौरा में सती का शारड़ा स्मारक पर पहुंचने के बाद राज परिवार धामी के उत्तराधिकारी राजा जगदीप सिंह खुंदों के साथ पूजा-अर्चना की. सांकेतिक रूप से एक छोर से दूसरे तक पत्थर फेंके गए।
रक्त का तिलक करने की परंपरा
धामी में पत्थर मेले की मान्यता सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। इस पत्थर के खेल और उसमें पत्थर की चोट लगने के बाद भद्रकाली को मानव रक्त का तिलक करने की परंपरा के पीछे मान्यता है कि धामी में क्षेत्र में आई आपदाओं से प्रजा को बचाने के लिए मानव बलि दी जाती थी। उस समय की रानी ने सती होते हुए इस परंपरा को समाप्त करवाने का प्रयास किया। मानव बलि के विकल्प के रूप में यहां पत्थर का खेल करवाने और उसमें रक्त निकलने पर भद्रकाली को तिलक करने की परंपरा को शुरू करवाया था।उसके बाद से धामी में दिवाली के दूसरे दिन पत्थर का खेल होता है।. इसमें दो समूह एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। एक ओर राज परिवार के लोग और जठोती, कटेड़ू, दघोई, तूनन. जबकि दूसरी ओर जठोती, जमोगी के खूंद होते हैं।
सूक्ष्म रूप से मनाया गया पत्थर मेला
उधर, मेला कमेटी के सचिव रंजीत सिंह कंवर ने बताया कि सालों से पत्थर मेले का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन बीते दो सालों से कोरोना वायरस के चलते इस मेले का आयोजन सिर्फ सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इस बार भी पत्थर मेले का आयोजन सूक्ष्म रूप से किया गया। इस मेले में राज वंशज के परिवार अपना रक्त मां भद्रकाली को चढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही सरकार कोरोना बंदिशों में छूट प्रदान करती है वैसे ही बड़े स्तर पर अगले साल पत्थर मेले का आयोजन किया जाएगा।