कैग रिपोर्ट बताती है कि राज्य में जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं, उनमें से करीब 1.71 लाख से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ रुपए का टेकहोम राशन बांट दिया गया.
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भेजा मामला आर्थिक अपराध शाखा को

भोपाल: मध्यप्रदेश में हर सरकारी कार्यक्रम से पहले कन्या पूजन का आयोजन होता है, थाल में पैर धुलाए जाते हैं. उसी मध्यप्रदेश में बच्चियों की थाली चुरा ली गई है. राज्य में कोरोना काल में स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों को दिये जाने वाले राशन में बड़ा घोटाला (Ration Scam in Madhya Pradesh) सामने आया है| लाखों बच्चियों को कागज पर ही राशन बांट दिया गया| इस घोटाले को भी राज्य सरकार ने नहीं बल्कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पकड़ा और आर्थिक अपराध शाखा को मामला दर्ज करने के आदेश दिये. कैग रिपोर्ट बताती है कि राज्य में जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं, उनमें से करीब 1.71 लाख से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ रुपए का टेकहोम राशन बांट दिया गया| राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने आर्थिक अपराध शाखा को मामला दर्ज कर जांच करने के लिये भेजी है|

इस आदेश के साथ बैतूल, ग्वालियर, डिंडोरी और सिंगरौली जिलों की कैग की जांच रिपोर्ट भी संलग्न है| मामला डेढ़ साल पहले आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के विदिशा दौरे से खुला था, जहां बच्चियों के रजिस्ट्रेशन और उपस्थिति में बड़ा अंतर था. इसके बाद सरकार से 11-14 साल की ऐसी बच्चियों की जानकारी मांगी, जो स्कूल नहीं जाती हैं|पता लगा 2,17,211 बच्चियां हैं, जो स्कूल नहीं जाती, उनमें से 1,71,365 को आंगनवाड़ियों के जरिए टेकहोम राशन दिया जाता है| इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग से इन बच्चियों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के निर्देश के साथ ड्रॉपआउट बच्चों की जानकारी मांगी गई|