
पुलिस थानों में महिला शौचालय का न होना गरिमा व निजता के अधिकारों का हनन – याचिका


इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला
लॉ इंटर्न की छात्राओं की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है. याचिका में पुलिस थानों में महिला शौचालयों की स्थिति बेहद खराब बताई गई है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक़ कई थानों में महिला शौचालय ही नहीं हैं.
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुलिस थानों में महिला शौचालयों की बदहाली को लेकर यचिका दाखिल की गई है| इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पुलिस थानों में महिला शौचालयों की स्थिति की जानकारी मांगी है| कोर्ट ने पूछा है कि यूपी के कितने पुलिस थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय हैं? कोर्ट ने 15 फरवरी तक यह जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है|
याचियों का कहना है कि पुलिस थानों में महिला शौचालय न होना गरिमा व निजता के अधिकारों का हनन है|कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से प्रदेशभर के थानों में महिला शौचालयों की स्थिति की जानकारी मांगी है|जस्टिस संजय यादव और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई|
अभ्यर्थी तरफ से शारीरिक दक्षता परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल
वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती-2018 की लिखित परीक्षा में सफल महिला अभ्यर्थी की याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई| इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि डिलिवरी के बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा कराने का निर्देश क्यों न दिया जाए? दरअसल परीक्षा में जिस समय शारीरिक टेस्ट हो रहा था, उस समय याची गर्भवती थी| अब अभ्यर्थी तरफ से शारीरिक दक्षता परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है|
मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 15 फरवरी को जानकारी मांगी है. दरअसल मामला बुलंदशहर का है| यहां की मंजूषा कुमारी ने याचिका दाखिल की है| याचिका में मंजूषा ने बताया है कि वह पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल हो चुकी है| याची को 3 फरवरी 2019 को शारीरिक टेस्ट के लिए बुलाया गया| याची ने अर्जी दी कि वह गर्भवती है इसलिए डिलिवरी के बाद किसी भी तिथि पर टेस्ट ले लिया जाए. लेकिन डिलेवरी होने के बाद उसे शारीरिक टेस्ट के लिए नहीं बुलाया जा रहा है|
जस्टिस राजीव जोशी की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि डिलिवरी के बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा कराने का निर्देश क्यों न दिया जाए? अब राज्य सरकार को 15 फरवरी को इस संबंध में जवाब देना है|