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मुख्यमंत्री ने किया गोबर से बिजली बनाने की योजना का शुभारंभ

बेमेतरा में किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- गोबर का मजाक उड़ाने वाले इसकी महत्ता देख लें

बेमेतरा । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बेमेतरा में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम सुराज की परिकल्पना को साकार करते हुए गांवों को स्वावलंबी बनाने में जुटी है।

अब छत्तीसगढ़ के गांव गोबर से विद्युत उत्पादन के मामले में स्वावलंबी होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे। अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्ता को देख लें। कार्यक्रम में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, संसदीय सचिव गुरुदयाल बंजारे, बेमेतरा के विधायक आशीष छाबड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर बेमेतरा जिले में 503 करोड़ रुपए के विकास एवं निर्माण कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया।

महिलाओं से बोले सीएम-दोगुना लाभ मिलेगा
मुख्यमंत्री ने राखी सिकोला तथा बनचरौदा में गोबर से विद्युत उत्पादन के शुभारंभ अवसर पर वहां मौजूद स्व-सहायता समूह की महिलाओं एवं गौठान समितियों के सदस्यों से उनकी आयमूलक गतिविधियोें के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से जितना लाभ हो रहा है, बिजली उत्पादन शुरू होने से उन्हें दोगुना लाभ मिलने लगेगा।

6000 से ज्यादा गौठान
गौरतलब है कि सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है, यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं।

बिजली भी, खाद-पानी भी
एक यूनिट में 153 किलोवाट बिजली बनेगी। तीनों गौठानों की बायो गैस जेनसेट इकाइयों से लगभग 460 किलोवाट बिजली बनेगी, जिससे गांवों, गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां लगी मशीनें चलेंगी। गोबर से विद्युत उत्पादन की यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी।