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आइये जानें हमारे मुख्यमंत्री ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’के नारा देने वाले भूपेश बघेल के जीवन के बारे में

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन 23 अगस्त को है. 32 साल की उम्र में वे अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार विधायक बने थे. 17 दिसंबर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

रायपुर| छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन  23 अगस्त को है. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद  गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का सूत्रवाक्य देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन से पहले उनके सियासी सफर पर आइए एक नजर डालते हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले के बेलौदी गांव में हुआ. रायपुर के साइंस कॉलेज से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की. भूपेश बघेल की मां का नाम स्वर्गीय  बिंदेश्वरी बघेल और पिता नंदकुमार बघेल है. भूपेश बघेल ने जमीनी स्तर से राजनीति के सफर की शुरुआत की. 1990 में वे दुर्ग जिला युवक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने. फिर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने पर 350 किलोमीटर की सद्भावना यात्रा निकाली.

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1994 में मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बने. 32 साल की उम्र में वे अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार विधायक बने. 1993 में पहली बार पाटन विधानसभा से जीतकर विधायक बने. फिर 1998 में दूसरी बार भी पाटन से निर्वाचित हुए. 2003 में तीसरी बार, 2013 में चौथी बार और 2018 में पांचवीं बार पाटन से चुनाव जीते. वे मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री और परिवहन निगम के अध्यक्ष भी बने. 2003 से 2018 तक लगातार वे सशक्त विपक्ष की भूमिका में रहे और 2003 से 2008 के बीच वे विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष भी रहे.

17 दिसंबर को ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

2013 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली. गुटबाजी में उलझी कांग्रेस को ना केवल उन्होंने साधा बल्कि कांग्रेस की सत्ता की आस  में फांस लगाने वालों को भी पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया. नतीजा ये रहा कि पिछले  15 सालों से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस को 2018 विधानसभा चुनाव में छप्पर फाड़कर सीटें मिलीं. पहले साल जहां छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी के नारे को उन्होंने घर –घर पहुंचाया. वहीं छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अस्मिता की अलख घर-घर पहुंचाई.