नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आज अनेक कार्यक्रमों की शुरूआत की। इनमें अनेक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वजारोहण, उत्पाद और सुविधा केंद्रों का शुभारंभ, प्रतिमाओं को स्वच्छ करने, जनसंपर्क अभियान तथा शौर्य गाथाओं पर आधारित पुस्तकों का विमोचन शामिल है।

इस अवसर पर सिंह ने कहा कि इस अमृत महोत्सव में अनेकता में एकता की झलक स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता, संप्रभुता और शाश्वत भाव भारत के लिए नए और आधुनिक नहीं है। कैप्टन विक्रम बत्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कैप्टन बत्रा ने बहादुरी से मृत्यु का आलिंगन करते समय गर्जना की थी कि ये दिल मांगे मोर। रक्षा मंत्री ने राष्ट्र के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अमर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत की महान सैन्य परंपरा के अलावा स्वतंत्रता संघर्ष में देश का शानदार उल्लेखनीय इतिहास रहा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के भारत आने से सैकड़ों वर्ष पहले भारतीय सैन्य परंपरा का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का मंत्र भारत की भूमि से ही निकला है। आत्मनिर्भर भारत का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश एक समय हथियारों का सबसे आयातक था लेकिन अब स्थिति बदल गई है। उन्होंने कहा कि विमान वाहक पोत विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का सबसे बड़ा प्रतीक है। इसके निर्माण में 76 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हुए हैं।
सीमा सड़क संगठन देश में 75 दर्रों और महत्वपूर्ण स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएगा। इसके 25 सदस्यीय दल दूरदराज के इलाकों के लिए निकल पड़ा है जिनमें पूर्वी लद्दाख में 19 हजार तीन सौ फीट ऊंचाई पर उमलिंगला दर्रे भी शामिल है। यह सबसे ऊंचा सड़क मार्ग है। अटल सुरंग, रोहतांग दर्रा और ढोला सादिया पुल पर भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। भारतीय तटरक्षक आजादी अमृत के महोत्सव पर भारतीय भू-भाग के एक सौ द्वीपों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएगा।