चित्तौड़गढ़ । राजस्थान के मेवाड़ संभाग का चित्तौड़गढ़ शहर जो विश्वप्रसिद्ध किले से अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। अपनी शौर्य, पराक्रम गाथाओं से जहां का इतिहास स्वर्णाक्षरों में अंकित है। मेवाड़ का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले चित्तौड़गढ़ में आज शांतिदूत आचार्य महाश्रमण का अहिंसा यात्रा के साथ मंगल पदार्पण हुआ। यह तीसरी बार है जब पूज्य श्रीमहाश्रमण चित्तौड़ पधारे हैं। इससे पूर्व सन् 1985 में तेरापंथ के नवमाचार्य श्रीतुलसी एवं सन् 2004 में दशमाचार्यश्री महाप्रज्ञ के साथ आचार्य श्रीमहाश्रमण का यहां आगमन हुआ। आचार्य रूप में प्रथम बार चित्तौड़ पधारने पर नगर के जैन समाज के साथ-साथ अन्य वर्ग-समुदाय में भी विशेष हर्षोल्लास का माहौल है। प्रातः अरणियापंथ से विहार कर जैसे ही आचार्यप्रवर का नगर में आगमन हुआ श्रद्धालुओं का जनसैलाब गुरुवर के स्वागत में उमड़ पड़ा। अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि गण इस अवसर पर आचार्यप्रवर का अभिनंदन कर रहे थे। गणवेश में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं द्वारा जय घोषों से पूरा वातावरण श्रद्धा-भक्तिमय बन गया। इस दौरान नगरपालिका चेयरमैन संदीप शर्मा सहित अधिकारियों ने `Key Of City` आचार्यश्री को उपहृत की। आचार्यश्री ने ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा प्रदर्शित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। लगभग 10 किलोमीटर का विहार कर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण शांतिभवन में दो दिवसीय प्रवास हेतु पधारे। कल आचार्यप्रवर के सान्निध्य में मेवाड़ स्तरीय स्वागत समारोह भी आयोजित होगा।
मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा- व्यक्ति को सदा यह चिंतन करना चाहिए कि मैं ऐसा क्या करूं कि फिर दुर्गति में ना जाना पड़े। हमारा यह जीवन अध्रुव है। कोई भी जीव संसार में हमेशा एक ही अवस्था में नहीं रहता, योनियों में घूमता रहता है। यह संसार दुखों का भी घर कहा गया है। कभी कोई परिस्थिति आ गई, बीमारी हो गई। कुछ न कुछ रूप में संसारी जीवों के दुख होते रहते हैं। इन दुखों से मुक्ति के लिए व्यक्ति को राग-द्वेष मुक्त होना होगा। जो राग-द्वेष से मुक्त हो जाता है वो फिर इन दुखों से भी दूर हो जाता है। जीवन में प्रतिकूलाएं आ सकती है, पर विकट समय में व्यक्ति अपने मन को शांत रखें यह आवश्यक है। समस्या और दुख दोनों अलग-अलग है।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा- कोई समस्या आ जाए तो व्यक्ति उससे भागे नहीं, डरे नहीं। समस्या का सामना करना सीखें। व्यक्ति कई बार समस्या के मूल को नहीं देखता। जो मूल को देख ले उसे फिर समाधान भी मिल सकता है। शांत मन से जब हम सोचते हैं तो हर कठिनाई आसान बन सकती है।
प्रवेश के संदर्भ में गुरुदेव ने कहा कि- कई वर्षों बाद आज पुनः चित्तौड़गढ़ में आना हुआ है। राजस्थान मेवाड़ का यह एक अच्छा क्षेत्र है। यहां की जनता में आध्यात्मिकता का विकास होता रहे, जीवन की हर गतिविधि में नैतिकता की भावना बढ़ती रहे।
इस अवसर पर साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी ने उद्बोधन प्रदान किया। तत्पश्चात बहिर्विहार से समागत मुनि मोहजित कुमार, मुनि रश्मि कुमार, मुनि प्रियांशु, मुनि जयेश ने अपने आस्थासिक्त विचार व्यक्त किए। मंच संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। अभिवंदना के क्रम में क्षेत्र के विधायक चंद्रभाण सिंह आख्या, नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा, तेरापंथ सभा मंत्री भूपेश फत्तावत, महावीर मंडल अध्यक्ष कमल बीकानेरिया, दिगंबर समाज से महेंद्र टोंग्या, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सदस्य सुरेश जाडावत, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम अध्यक्षा डॉक्टर प्रियंका ढीलीवाल ने भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने स्वागत गीत का संगान किया।
नगर प्रवेश पर शांतिदूत के स्वागत में सांसद सी.पी.जोशी, एसडीएम श्याम सुंदर विश्नोई, खोर के ठाकुर लक्ष्मण सिंह, चित्तौड़ शहर के काजी अब्दुल मुस्तफा,आर.एस.एस जिला प्रमुख हेमंत जैन, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रेम मुंदडा, जिला बीजेपी से सुरेश धाकड़, गौतम दक आदि अनेक विशिष्ट जन अभिनंदन हेतु उपस्थित थे।
विभिन्न संगठनों द्वारा शांतिदूत का स्वागत किया गया। जिनमें मुख्य रूप से वर्धमान संघ, साधुमार्गी समाज, शांति क्रांत संघ, दिगंबर जैन समाज, मूर्तिपूजक समाज, महावीर जैन मंडल, जीतो, ए.टी.बी.एफ, नाकोडा पुर्णिमा मंडल, महावीर इंटरनेशनल, राजपूत समाज, मुस्लिम समाज, वीरवाल समाज, सिंधी समाज आदि के अनेक पदाधिकारी अभिनंदन कर रहे थे।

