राजस्थान में फ़ैल रही है अफवाह – घर के युवाओं ने वैक्सीन ली तो बच्चे पैदा नहीं कर सकेंगे, बुजुर्ग मर जाएंगे
गाँव में डर के मारे जोरों से चल रही पूर्वजों की पूजा अराधना , परिवार के सुरक्षा की कामना कर रहे है लोग
पाली /बांसवाडा |राजस्थान के पाली और बांसवाड़ा जिले के आदिवासी गांवों में वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैल रही हैं। भास्कर की टीम जब यहां के वागड़ और गोडवाड़ के आदिवासी इलाकों में पहुंची तो पता चला कि अफवाहों के चलते ही कम उम्र के लोग वैक्सीन से बच रहे हैं या उन्हें घर वाले वैक्सीन नहीं लगवाने दे रहे।

गोडवाड़ क्षेत्र के आदिवासी क्षेत्र की 13 ग्राम पंचायतों में महज 55 लोगों ने वैक्सीन लगवाई है। वागड़ के आदिवासी क्षेत्र में महज 54 फीसदी वैक्सीनेशन हुआ है।
पाली आदिवासी इलाकों में वैक्सीनेशन का हाल व रिपोर्ट
अफवाह|बाली के आदिवासियों ने टीके से किनारा कर लिया है। इस क्षेत्र में यह अफवाह घर-घर फैली है कि वैक्सीन लगवाने से बच्चे पैदा करने की क्षमता खत्म हाे जाएगी। एक महीने में माैत भी सकती है। यही वजह है कि चिकित्सा विभाग की ओर से बार-बार वैक्सीनेशन कैंप लगाने के बाद भी टीका लगवाने काेई नहीं आ रहा है। बड़ी बात यह कि यह अफवाह पिछले एक महीने से स्वयंभू आदिवासी नेताओं ने अलग-अलग जगह पर बड़ी सभाओं के जरिए सरेआम फैलाई है।
एक्शन| एक मामले में पुलिस ने सभासदों के खिलाफ भीड़ जुटाने का मुकदमा ताे दर्ज किया, लेकिन अफवाह फैलाने वालाें पर काेई कार्रवाई नहीं की। चौंकाने वाला सच ताे यह है कि आदिवासी क्षेत्र की 13 ग्राम पंचायताें में टीकाकरण कराने वाले लाेगाें की संख्या एक दहाई तक ही है, जिनमें सरकारी कार्मिक या फ्रंट लाइन वर्कर्स ही हैं।
कोशिशें| बाली पंचायत समिति की प्रधान पानरी बाई 58 साल की हैं। वे सिर्फ साक्षर हैं। अपने घर में जब काेराेना से दाेहिते काे तड़पते देखा ताे सबसे पहले डाॅक्टर ने उनके घर पहुंचकर ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल नापा। लेवल 70 तक आने के बाद दाेहिते की सांसें उखड़ गईं।
इसके बाद उन्हाेंने पति और पूर्व प्रधान सामताराम गरासिया के साथ तय किया कि गांव में अब ऐसी माैताें काे राेकने का प्रयास करेंगी। पानरी बाई ने ऑक्सीमीटर मंगवाया। टीवी पर प्राेनिंग यानी ऑक्सीजन बढ़ाने का तरीका सीखा और अब दिन में तीन बार अपने घर में ही बने बगीचे में परिवार समेत गांव के लाेगाें काे प्राेनिंग सिखा रही हैं।

बांसवाड़ा आदिवासी इलाकों में वैक्सीनेशन का हाल व रिपोर्ट
अफवाह| बांसवाड़ा के उसी कुशलगढ़ ब्लॉक में अब नया संकट खड़ा हाे गया है, जहां से वागड़ में काेराेना की एंट्री हुई थी। यहां पहले काेराेना का कहर था और अब वैक्सीनेशन काे लेकर चल रही अफवाहों से चिकित्सा विभाग परेशान है। भंवरदा के एक फला में वृद्धा ने बताया कि मैंने ताे टीका लगवा लिया, पर बच्चाें काे मना कर दिया है। वृद्धा ने बताया कि साहब यहां ऐसी बात उड़ रही है कि पैंट-शर्ट वालाें का टीका अलग और गांवों में टीका अलग लग रहा है। ये टीका यदि जवान काे लगा ताे बच्चे पैदा नहीं हाेंगे और बुजुर्गाें काे लगा ताे वे जल्दी मर जाएंगे।
परेशानी| कुशलगढ़ कस्बे में इस बार स्थिति ज्यादा खतरनाक है। यहां अब तक 776 संक्रमित हाे चुके हैं, जबकि 6 की माैत हाे चुकी है। पहली लहर में 395 संक्रमण के मामले सामने आए थे। अब अफवाहों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। कुशलगढ़ ब्लॉक में महज 54 फीसदी ही वैक्सीनेशन हुआ है।
यह आंकड़ा पिछले दस दिन से बना है और आगे नहीं बढ़ रहा, क्योंकि लाेग टीका नहीं लगवा रहे। सबलपुरा में वैक्सीनेशन के लिए गई टीम काे गांव वालाें ने भगा दिया। कुशलगढ़ के बीसीएमओ डाॅ. राजेंद्र उज्जैनिया ने माना कि यहां अंधविश्वास बहुत है, इसलिए टीकाकरण कम है।

सावधानी के साथ आस्था का सहारा| ब्लाॅक के भंवरदा पंचायत के एक गांव में कई लाेग एक साथ पूजा-अर्चना कर रहे थे। जब टीम ने इनसे पूछा ताे बुजुर्ग सरदार सरपाेटा ने बताया कि गांव-गांव में काेरोना का डर है। दूसरे इलाकों की तरह हमारे गांव में यह आपदा नहीं आए, इसलिए पूर्वजाें की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुरक्षा की कामना कर रहे हैं। गांव के हेमला सरपाेटा बताते हैं कि काेराेना में सावधानी ताे रख रहे हैं, लेकिन अब भगवान ही बचा सकता है।