निगम के अधिकारी कर्मचारी निगम को नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए निगम को लगाये करोणों की चपत
सतना |नगर निगम की नई कमिश्नर एवं स्मार्ट सिटी की सीईओ तन्वी हुड्डा ने किया तो है लेकिन उनके सामने नगर निगम की नई कई गंभीर चुनौतियां मौजूद है |इनसे वह कैसे निपटेगीं यह तो आने वाला समय बताएगा क्योंकि नगर निगम सतना में पदस्थ अधिकारी और इंजीनियर कानून के हिसाब से नहीं चल कर अपना कानून बनाते हैं और सिर्फ पैसा कमाने की नीयत से शहर की आबोहवा बिगाड़ रहे हैं उदाहरण के तौर पर इंजीनियर एस के सिंह ने बिना आश्रय शुल्क जमा कराएं बहुमंजिला इमारतों को नक्शे की स्वीकृति प्रदान कर दी जिसके कारण लगभग 18 करोड रूपये जो नगर निगम सतना के खाते में आने थे आज तक जमा नहीं हो सके लेकिन इसके लिए एस के सिंह पर कोई कार्यवाही नहीं हुई दूसरे इंजीनियर अरुण तिवारी ने 70 वर्ष पुराने जीर्ण शीर्ण भवन जो गार्डर पटिया से निर्मित था उसके ऊपर की मंजिल बनाने की स्वीकृति प्रदान कर दी जबकि वह मकान पूरा ध्वस्त कर नया निर्माण कराया किया गया ऐसा मात्र इसलिए किया गया कि कानून के मुताबिक सड़क के मध्य से निश्चित दूरी छोड़कर नया भवन बनाना पड़ता लेकिन अरुण तिवारी पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई सहायक आयुक्त नीलम तिवारी ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर स्लॉटर हाउस खोलने की अनुमति दे दी लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई|शहर में स्वीकृत भवन मानचित्र के विरुद्ध स्वीकृत मानचित्र से अधिक निर्माण भवनों का कराया जा रहा है लेकिन उन पर कोई वैधानिक कार्यवाही कर रोकने का प्रयास नहीं किया जा रहा है जो विचारणीय है शहर के चौराहों के सौंदर्यीकरण के नाम पर लंबा भ्रष्टाचार हुआ इसकी शिकायत पर भोपाल में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों ने संबंधित स्थलों की फाइल तलब की ताकि जांच हो सके उन्हें फाइल उपलब्ध नहीं कराई गई थी शासन की नियम अनुसार 3 वर्ष हो जाने से अधिकारी और इंजीनियरों का तबादला अन्यत्र किया जाना चाहिए लेकिन यहां के इंजीनियर वर्षों से यहीं जमे हैं और शासन से स्थानांतरण होने के बाद भी रिलीव नही हुए इन सभी भ्रष्ट इंजीनियरों पर नगर निगम सतना के पूर्व आयुक्त का वरद हस्त था अब उनके जाने के बाद नई आयुक्त के सामने सब प्रकरण प्रस्तुत है देखे कि वह क्या कार्रवाई करती है

