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सच्चाई लिखने की सजा : आरोपी ने पत्रकार को उतारा मौत के घाट

बीजापुर ( दबंग प्रहरी)।  छत्तीसगढ़ प्रदेश में शासन चाहे कांग्रेस पार्टी का रहा हो चाहे भारतीय जनता पार्टी का पत्रकारों का उत्पीड़न लगातार जारी है। इसी कड़ी में बस्तर के विख्यात एवं बेबाक पत्रकार तथा बस्तर जंक्शन की आवाज मुकेश चंद्राकर की एक कांग्रेसी नेता एवं भ्रष्ट ठेकेदार के द्वारा नृशंस हत्या कर शव सैप्टिक टैंक में छुपाने की जानकारी मिली है।


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हत्या के आरोपी सुरेश चंद्राकर का कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं से करीबी संबंध थे तथा उन्हें कांग्रेस पार्टी का नेता भी बताया जा रहा है।

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साथ ही नेतागिरी के बदौलत आरोपी सुरेश चंद्राकर बड़े पैमाने पर ठेकेदारी भी कर रहे है। अपनी राजनीतिक पहुंच का नाजायज फायदा उठाते हुए वे  निर्माण कार्यों में बेहताशा भ्रष्टाचार कर रहे थे। पत्रकार मुकेश चंद्राकर के द्वारा उनके भ्रष्टाचार के मामले को लेकर समाचार प्रकाशित किया था जिससे बौखलाकर उक्त नेता एवं ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने साजिश के तहत पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या कर दी।

प्रदेश में राजनीतिक संरक्षण के चलते पत्रकारों पर लगातार हो रहे हैं साजिश एवं हमले।

प्रदेश में लगातार राजनीतिक संरक्षण के चलते पत्रकारों पर साजिश एवं उत्पीड़न बदस्तूर जारी है जो कि थमने का नाम ही नही ले रहा है। लंबे समय से प्रदेश के पत्रकारों के द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की जा रही है। लेकिन बारी बारी से प्रदेश की सत्ता में सत्तासीन कांग्रेस एवं भाजपा की सरकार पत्रकारों के मांगो को अनसुना करते रहे हैं। परिणाम स्वरूप कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला, सरगुजा के कुमार जितेन्द्र जायसवाल, रायपुर के दिनेश सोनी, बालोद के कृष्णा गंजीर, अमित मंडावी, विनोद नेताम, गरियाबंद के किरीट ठक्कर , दुर्ग के राकेश तंबोली बस्तर के बप्पी राय, संतोष यादव जैसे अनेकों पत्रकारों को भ्रष्टतंत्रों के द्वारा साजिश के तहत प्रताड़ित किया जाता रहा है। लेकिन प्रदेश के विभिन्न सत्ताधीशों ने पत्रकारों के सुरक्षा के मामलों में अपने आपको धृतराष्ट्र एवं गांधारी ही साबित किया है। और आज फिर एक बेबाक पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दिया गया जहां पर सत्ताधीशों के द्वारा आरोपी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा कह कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लिया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा कह देने से क्या आगे पत्रकारों के खिलाफ साजिश एवं हमले नहीं होंगे? सत्ताधीशों को अब जवाब देना ही होगा कि पत्रकारों के सुरक्षा के लिहाज से वे क्या कदम उठा रहे हैं अन्यथा भविष्य में पत्रकारों को गंभीर कदम उठाना पड़ सकता है।