सूरत. पिछले दिनों वीर नर्मद विश्वविद्यालय (VNSGU) में 52 वां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान कुल 36,614 डिग्री प्रदान की गईं. अलग-अलग विषयों में रैंक और अधिकतम अंक पाने वाले 179 छात्रों को स्वर्ण पदक और अन्य पुरस्कार प्रदान किए गए. इस कार्यक्रम में आचार्य देवव्रत और अमिताभ कांत ने मुख्य अतिथि के तौर में भाग लिया. इस दौरान हर किसी की निगाहें बाप-बेटे की जोड़ी पर टिकी रहीं. 66 वर्षीय पिता सुरेश खम्भाती और 33 साल के बेटे सुनील खंबाती ने एक साथ बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री (LLB) की डिग्री ली. इस मौके पर इन दोनों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए।
बेटे ने बताया कि वकालत के कारण पिता से उनकी गहरी दोस्ती हो गई. उन्होंने कहा, ‘कॉलेज में तीन साल तक मैंने और मेरे पिता ने एक ही बेंच पर बैठकर पढ़ाई की. साथ में उन्होंने असाइनमेंट लिखे, नोट्स बनाए और परीक्षा की तैयारी की. वे मुझे क्लास के बाद समझाते थे कि कभी-कभी वो काम की वजह से क्लास में नहीं जाते हैं. मेरे पास एक सीए फर्म है इसलिए मैंने हर दिन अपने पिता के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया।

पिता का सपना था वकील बनना

सुनील खंबाती ने बताया कि पिता के साथ उनकी गहरी दोस्ती हो गई. उन्होंने आगे कहा, ‘ लंबे समय तक रहने से मुझे अपने पिता के समर्पण को देखने की अनुमति मिली. उन्होंने इस उम्र में भी बहुत मेहनत की. और कॉलेज के प्रत्येक वर्ष में वे रिजसर्ट में भी मुझसे आगे रहे हैं. और वे वकालत के फािल रिजल्ट में भी आगे हैं. मेरे पिता रिटायर्ड हैं. वो पहले से ही वकालत में अपना करियर बनाना चाहते थे. लेकिन वह अपनी नौकरी के कारण वकालत के अपने सपने को पूरा नहीं कर सके. अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर, मैंने भी अपने पिता के साथ कानून की पढ़ाई करने की सोची.
‘बेटे ने मुझे आगे बढ़ाया’
पिता सुनील खंभात ने कहा, ‘मेरे बेटे ने मुझे अपनी वकालत के सपने को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया. इसलिए हम दोनों ने एक साथ कॉलेज शुरू किया. एक दूसरे के सवालों को हल करना, यहां तक कि नोट्स साझा किया.