स्वामीनारायण मंदिर (Swaminarayan Mandir) को उसके भव्य परिसर और बेहद महीन काम के लिए जाना जाता है. पहला मंदिर गुजरात के अहमदाबाद में ब्रिटिशकाल में बना था, जिसके बाद इसके अनुयायी बढ़ते ही चले गए|
अहमदाबाद |स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर अपने लंबे-चौड़े परिसर और बेहद महीन और खूबसूरत काम के लिए जाने जाते हैं. दिल्ली का स्वामीनारायण मंदिर लगभग 100 एकड़ में फैला हुआ है और इसे दुनिया से सबसे विशाल परिसर वाले हिंदू मंदिर के तौर पर गिनीज बुक में शामिल किया गया है. लेकिन दुनिया का सबसे पहला स्वामीनारायण मंदिर गुजरात के अहमदाबाद में बना था. 24 फरवरी 1822 में बने इस मंदिर में काफी बारीक नक्काशी है और कई धर्मों के दर्शन यहां होते हैं.

इन मंदिरों को स्वामीनारायण या फिर अक्षरधाम मंदिर भी कहा जाता है. यहां भगवान स्वामिनारायण की पूजा होती है. बता दें कि घनश्याम पाण्डे या स्वामीनारायण या सहजानन्द स्वामी हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक थे. अप्रैल, 1781 को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि कही जाने वाली अयोध्या के पास छपिया नाम के गांव में उनका जन्म हुआ था. उस दिन रामनवमी थी.

पांच वर्ष की अवस्था में बालक ने पढ़ना-लिखना शुरू किया और आठ साल की उम्र में उनका जनेऊ संस्कार हुआ. इसके तुरंत बाद बालक ने शिक्षा में अपनी विलक्षण प्रतिभा दिखाई और अनेक शास्त्रों को पढ़ लिया. कुछ ही समय में वे घर छोड़कर निकले और पूरे देश की परिक्रमा कर ली. तब तक उनकी बहुत ख्याति हो चुकी थी. और लोग उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे थे.
देश के कई राज्यों से होते हुए वे गुजरात आ गए. यहां उन्होंने बाकायदा अपने संप्रदाय की शुरुआत की और उनके बहुत से अनुयायी बन गए. मंदिर निर्माण उनके जीवनकाल के दौरान की बात है. खुद ब्रिटिश हुकूमत ने मंदिर के लिए जमीन दान की थी. मंदिर निर्माण भगवान स्वामीनारायण के अनुयायी आनंदानंद स्वामी की देखरेख में हुआ.
अहमदाबाद स्थित इस मंदिर को बर्मी टीक में उकेरा गया है, और हर मेहराब और ब्रैकेट को चमकीले रंगों से चित्रित किया गया है, जो हर जगह स्वामीनारायण मंदिरों की खास पहचान है. यहां पर स्वामीनारायण की रखी हुई कई मूर्तियां हैं, साथ ही उनकी व्यक्तिगत मूर्तियां भी यहां रखी हुई हैं. मंदिर में अलग-अलग हिस्से, अलग काम के लिए आरक्षित हैं. जैसे एक हिस्सा केवल महिलाओं के लिए है. यहां महिलाओं के ठहरने से लेकर उनके लिए अलग तरह की वर्कशॉप और पढ़ाई-लिखाई भी चलती रहती है. इसी तरह से एक खंड में तीर्थयात्रियों के ठहरने का शानदार बंदोबस्त है.
दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर काफी ख्यात है. साल 2005 में बना ये मंदिर करीब 100 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. इसमें 200 पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं. इस मंदिर में 234 नक्काशीदार स्तंभ, 9 अलंकृत गुंबद, गजेंद्र पीठ और भारत के दिव्य महापुरुषों की 2000 मूर्तियां शामिल हैं. साथ ही इस मंदिर के केंद्रीय गुंबद के नीचे 11 फुट ऊंची नारायण की प्रतिमा है. यहां की प्रत्येक मूर्ति पांच धातुओं से बनाई गई है.
अक्षरधाम मंदिर नारायण सरोवर से घिरा हुआ है. यह एक झील है, जिसे 151 झीलों के पानी से भरा गया है. अपनी तमाम खूबियों के साथ 17 दिसंबर, 2007 के दिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की ओर से इस मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर घोषित किया गया था.