मुनाफे के झांसे में फंसे कारोबारी; कर्नाटक, तामिलनाडु से पकड़े गए बदमाश
रायपुर की पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी के नाम पर कारोबारियों से ठगी करने वालों को पकड़ा है। ये बदमाश कर्नाटक और तामिलनाडू से पकड़े गए हैं। 300 दिनों में पैसे ट्रिपल करने का झांसा देकर कारोबारियों से ठगी की गई है। क्रिप्टो ठग गैंग के 3 बदमाशों को पकड़ा गया है। सिर्फ रायपुर ही नहीं देश के दूसरे हिस्सों में भी लोगों को ठगकर इस गैंग ने करोड़ों रुपए जुटाए हैं।

पुलिस को रायपुर के आरंग और पुरानी बस्ती थाने में क्रिप्टो करेंसी को लेकर ठगी की शिकायत मिली थी। बाकायदा आलीशान होटलों में सेमीनार करके लोगों को ठगने का काम किया गया था। अपनी शिकायत में रायपुर के संतोष कुमार साहू ने बताया था कि उसे क्रिप्टो करेंसी कंपनी के संबंध में जानकारी मिली थी। कंपनी के मैनेजर बैंगलोर निवासी प्रकाश रेड्डी ने रायपुर के लालबाग होटल में सेमिनार किया था। कहा गया कि इस कंपनी में निवेश करने पर निवेश की रकम 300 दिनों में तीन गुना हो जाएगी।
इस सेमिनार में शामिल कंपनी के एजेंट एंड मैनेजमेंट टीम के प्रकाश रेड्डी, एस भूपति, मुत्थू कुमार के द्वारा कंपनी के प्लान के बारे में बताया गया। संतोष ने इन्हें 14 लाख रुपए दे दिए थे। जब बारी तीन गुना रकम देने की आई तो कंपनी के लोग बहाने बनाने लगे, इसके बाद मामला थाने पहुंचा था। ठीक ऐसी ही शिकायत पुरानी बस्ती थाने में रूपेश कुमार सोनकर नाम के शख्स ने की थी। इसे भी रकम तीन गुनी करने का दावा किया गया। इस कंपनी के एमडी बाबू, सीएमडी इमरान खान, मैनेजमेंट टीम सदस्य जाॅनसन और एजेंट काजामिथीन मुनीराज ने झांसे में लिया था।
साउथ पहुंची रायपुर की पुलिस
इन शिकायतों के बाद पुलिस ने कंपनी के लोगों की बैंक डिटेल और फोन नंबर्स के बारे में जानकारी जुटाई। इसके बाद जांच टीम को तामिलनाडु और कर्नाटक में बदमाशों की लोकेशन के बारे में पता चला। वहां रायपुर की टीम पहुंची। जांच टीम में शामिल अफसरों ने इसके बाद ठगों का पता लगाना शुरू किया, और मौका पाकर ठगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अब इस ठग कंपनी को चलाने वालों से रकम लेन-देन के बारे में पूछताछ की जा रही है। पुलिस को जानकारी मिली है कि MP, महाराष्ट्र और दूसरे प्रदेशों के लोगों को भी इसी तरह इस गैंग ने ठगा है। पुलिस ने इस ठगी में शामिल गिरोह के मैनेजर प्रकाश रेड्डी को बेंगलुरु कर्नाटक एवं आरोपी एजेंट एस. भूपति को सेलम तमिलनाडु से गिरफ्तार किया है। गिरोह के कंपनी का सदस्य ईमरानबाशा. एम को कोयम्बटूर तमिलनाडु से पकड़ा गया है।


क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी होती है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है। दुनिया में इस वक्त 4 हजार से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। बिटकॉइन इनमें सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। हर बिटकॉइन ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है। जो डिसेंट्रलाइज तरीके से अलग-अलग यूजर्स द्वारा किया जाने वाला रिकॉर्ड मेंटेनेंस सिस्टम है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियम
देश में क्रिप्टोकरेंसी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसको लेकर देश में कोई कानून या गाइडलाइंस नहीं है। 2018 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें RBI ने सभी वित्तीय संस्थानों से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में RBI की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार हो रहा है। सरकार ने 2019 में भी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने और इसको आपराधिक बनाने के लिए बिल तैयार किया था। हालांकि, यह बिल संसद में पेश नहीं हो पाया था।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
- 1983 में सबसे पहले अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविड चाम ने ई-कैश (ecash) नाम से क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी बनाई थी।
- 1995 में डिजिकैश के जरिए इसे लागू किया गया।
- इस पहली क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी को किसी बैंक से नोटों के रूप में विड्रॉल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी।
- यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एनक्रिप्टेड था। सॉफ्टवेयर के जरिए क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी प्राप्त करने वाले को एनक्रिप्टेड-की यानी खास प्रकार की चाभी दी जाती थी।
- इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैसा जारी करने वाला बैंक, सरकार या अन्य थर्ड पार्टी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं कर पाते थे।
- 1996 में अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम के बारे में बताने वाला एक पेपर पब्लिश किया।
- 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के वर्चुअल निर्माता ने बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनाई। इसके बाद ही क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाभर में लोकप्रियता मिली।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वेबसाइट के जरिए इनकी खरीद की जा सकती है। इसके लिए पहले एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। फिर बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान कर क्रिप्टोकरेंसी की यूनिट खरीद सकते हैं। ग्राहक को अपने देश के नियम-कानून ध्यान में रखने होते हैं। अलग-अलग एक्सचेंज कमीशन के रूप में कुछ चार्ज लेते हैं। ग्राहक क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रख सकते हैं।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है। यह वर्चुअल माइनिंग होती है जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है। इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है। इसलिए सैद्धांतिक तौर पर कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी बना सकता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से देखें तो इसे बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
बिटकॉइन के अलावा अन्य लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी
- ईथर: यह दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है। 2015 में वितालिक बुटेरिन ने इसका निर्माण किया था। उन्होंने ईथरियम नामक ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का विकास किया। यह प्लेटफॉर्म सिर्फ ईथर नामक वर्चुअल मुद्रा तक सीमित नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल करके दूसरे लोग भी अपने एप्लीकेशन बना सकते हैं जिनमें ईथरियम के ब्लॉकचेन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- रिप्पल: रिप्पल का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन के लेन-देन की प्रक्रिया को आसान बनाने के मकसद से 2021 में किया गया था। रिप्पल के जरिए धन का लेन-देन काफी तेजी से होता है और इसकी लागत भी बेहद कम है। रिप्पल का नियंत्रण रिप्पल लैब्स नामक कंपनी करती है जिसके पास कुल रिप्पल की आधी मुद्राएं हैं।
- लाइटकॉइन: गूगल के पूर्व कर्मचारी चार्ली ली ने सन 2011 में लाइटकॉइन का निर्माण किया था। इस काम में बिटकॉइन के ही ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था। मकसद यह था कि बिटकॉइन के निर्माण और रखरखाव में खर्च होने वाली अथाह बिजली तथा जटिलता को दूर करते हुए एक हल्की-फुल्की मुद्रा का निर्माण किया जाए।
- नियो: यह चीन में बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी है, जिसका निर्माण 2014 में दा होंगफेई ने किया था। शुरू में इसका नाम एन्टशेयर्स था जिसे जून 2017 में बदलकर नियो कर दिया गया। ईथरियम के साथ काफी समानता होने के कारण इसे ‘चीनी ईथरियम’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है।