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मूर्ति विसर्जन करने पर होगी 50 हजार जुर्माना या 6 साल की जेल

नई दिल्ली [द.प्र.समाचार] । दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस साल गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना या किसी अन्य जल निकाय में मूर्तियां विसर्जित न की जाएं। डीपीसीसी ने \एक आदेश में कहा है कि उल्लंघन करने पर 50,000 रुपये का जुर्माना या छह साल जेल की सजा तक हो सकती है। डीपीसीसी ने शहरी स्थानीय निकायों को मूर्ति विसर्जन के लिए आवासीय क्षेत्रों के निकट कृत्रिम तालाब बनाने के लिए भी कहा है।
बोर्ड ने दिल्ली पुलिस को शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां ले जाने वाले वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है। नगर निकायों से कहा गया है कि वे सभी अंचल कार्यालयों को अवैध मूर्ति निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी करें। डीपीसीसी ने कहा कि मूर्ति विसर्जन गंभीर समस्या पैदा करता है क्योंकि उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले जहरीले रसायन पानी में मिल जाते हैं। इस साल 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और 9 सितंबर को मूर्ति विसर्जन होगा। हालांकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 2015 में यमुना में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने 2019 में इस संबंध में निर्देश जारी किए थे।
उल्लेखनीय है कि हर साल गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिलाधिकारियों को निर्देश देकर मूर्ति विसर्जन न किए जाने के निर्देश देता है। इस संबंध में यमुना के घाटों पर जाने पर पाबंदी लगा दी जाती है। साथ ही अन्य रास्तों से यमुना तक आने वाले लोगों को रोकने के लिए भी गश्त की जाती है। हालांकि पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी लोग मूर्ति विसर्जन करते हैं, इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस लोगों को गिरफ्तार भी करती है और उन पर जुर्माना भी लगाया जाता है। गणेश तुर्थी के बाद आने वाली दुर्गा पूजा के दौरान भी लोग देवी की मूर्ति को बहते जल में विसर्जित करते हैं और इस दौरान बड़ी संख्या में देवी प्रतिमाएं यमुना में विसर्जित की जाती हैं। इससे पानी को लेकर बड़ी समस्याएं आती हैं और मूर्ति बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायन के पानी में घुलने के कारण कई तरह के रोग भी पनपते हैं।

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