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एमपी में क्या खत्म हो जाएगा शिव का राज ?

👍 एमपी में क्या खत्म हो जाएगा शिव का राज ?

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एमपी में लंबी सियासी पारी खेल चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अब खतरे की घंटी बज चुकी है। सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी इकाई संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने साफ संकेत दे दिए हैं। एमपी के 20 घंटे के दौरे में गृह मंत्री अमित शाह की बॉडी लैंग्वेज भी लगभग यही इशारा करती दिखाई दे रही है। दरअसल, एमपी के सियासी गणित में शिवराज के बिना सरकार या संगठन की कल्पना करना अभी तक बेमानी था ? जिसे बदलने की कवायद के लिए मोदी और शाह की जोड़ी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है।
बात पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो उसी समय शिवराज को दरकिनार किए जाने के संकेत मिल गए थे। लेकिन एन-केन-प्रकारेण कांग्रेस की कमलनाथ सत्ता को बाहर कर शिवराज दोबारा मुख्यमंत्री बन गए। जबकि मोदी-शाह की जोड़ी को यह तनिक भी रास नहीं आया है।
इस समय केंद्र की बात करें तो केवल नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह चौहान ही तीन ऐसे नेता थे जो मोदी और शाह की बराबरी वाले नेता थे न कि उनके बनाए नेता। बस यही बात इस जोड़ी को खटक रही है और धीरे-धीरे कर इन तीनों को भी किनारे लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसी कड़ी में सबसे पहले गडकरी और शिवराज को पार्टी की सर्वोच्च इकाई केंद्रीय संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जबकि राजनाथ सिंह अभी भी केंद्रीय संसदीय बोर्ड में बतौर सदस्य शामिल हैं।
इसके पहले भी हम इतिहास उठाकर देखें तो लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा जैसे तमाम नेताओं को पार्टी पहले ही साइडलाइन कर चुकी है और इस समय ऐसा लगता है कि मोदी और शाह की जोड़ी सिर्फ और सिर्फ अपने द्वारा बनाए गए अपने लोगों को ही पार्टी में जगह दे रही है ताकि सर्वोच्च पद का खौफ हर नेता के मन में इस तरह से समाया रहे कि वह इस जोड़ी के खिलाफ एक शब्द भी न बोल सकें। रही बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी पार्टी के दोनों नेताओं के सामने अब बौने दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह बात जगजाहिर है कि संघ की अनुमति के बिना भाजपा में पत्ता तक नहीं हिलता। अब देखना है कि यह जोड़ी कब तक कामयाब रहती है।
हालांकि संघ की विचारधारा के अनुरूप इस जोड़ी ने बखूबी ऐसे काम करके दिखाए हैं जो आम व्यक्ति या भाजपा से जुड़ा कार्यकर्ता अब तक केवल दिवास्वप्न के रूप में ही देख रहा था। कश्मीर से धारा 370 का खात्मा हो, सीएए लागू करना हो या राम मंदिर निर्माण में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हो। यह तमाम फैसले भाजपा और संघ की विचारधारा के अनुसार ही परिलक्षित हो रहे हैं। देश की जनता जल्द ही गृहमंत्री अमित शाह से देश में समान नागरिक आचार संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून की अपेक्षा कर रही है जिसकी तैयारी भी शायद इस जोड़ी ने बखूबी कर रखी है।और यही कारण है कि देश की बड़ी भलाई के लिए छोटा कार्यकर्ता और आम जनता अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार है। चाहे वह भाजपा कार्यकर्ता को पद से हटाए जाने की बात हो या आम जनता को महंगाई की मार ? इन सबके बावजूद मोदी व शाह की इस जोड़ी ने विश्व परिदृश्य में हमारे देश को हिट साबित किया है। अब इसे भारतीय परिवेश में इन कानूनों के लागू होने के बाद सफलतम जोड़ी माना जाएगा, ऐसे कयास देश भर में लग रहे हैं। देश भक्ति और राष्ट्रप्रेम से भरपूर यह जोड़ी देश के इतिहास के पन्नों में अपना नाम किस हद तक दर्ज करा पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा ?