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चार साल में चीन ने दुनिया भर में जासूसी 7 गुना बढ़ाई

चीन की हैकिंग से खतरा:अमेरिका-ब्रिटेन के खुफिया प्रमुखों का खुलासा-

चीन ने पिछले चार साल में दुनिया भर में जासूसी को लगभग सात गुना तक बढ़ा दिया है। अब मानवीय जासूसी को कम कर चीन हैकिंग कर टेक्नोलॉजी को चुरा रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे और ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-5 के महानिदेशक केन मैक्कलम ने पहली बार संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये सनसनीखेज खुलासा किया है। टेक्नोलॉजी हैकिंग चीन का बड़ा हथियार बन गया है।

अमेरिका में पिछले चार साल के दौरान चीन के हैकरों ने 7 हजार से ज्यादा साइबर अटैक किए। इसमें अरबों डॉलर की रकम को भी खुर्दबुर्द किया गया। एमआई-5 के अनुसार कोरोना काल में चीन ने अपनी खुफिया एजेंसियों को और ज्यादा सक्रिय कर दिया था।

एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में कोरोना काल के दौरान चीन के हैकर्स ने वैक्सीन तकनीक की चोरी के लिए लगभग 5 हजार से ज्यादा कोशिशें की थीं। इससे निपटने के लिए ब्रिटेन ने अपनी सरकारी वेबसाइट को फायरवॉल से प्राेटेक्ट करने के लिए 2 हजार करोड़ के खर्च से अपग्रेड किया।

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चीन की इस आर्थिक साइबर हैकिंग में रूस, उत्तरी कोरिया, बेलारूस और सीरिया का भी सहयोग मिलता है। रूसी खुफिया एजेंसी एफएसबी ने चीन के साथ गठजोड़ के लिए एक अलग साइबर हैकिंग नेटवर्क बनाया हुआ है। इसे पश्चिमी देशों का साइबर नेटवर्क भेद नहीं पाता है। एफबीआई और एमआई-5 की रिपोर्ट के अनुसार चीन साइबर हमलों के लिए अपने सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल करता है।

ये सीक्रेट कम्युनिकेशन चीन सरकार के पास है। अमेरिका और ब्रिटेन ने चीन के साइबर हमलों को काउंटर करने के लिए मिशन-2025 बनाया है। इसके तहत 25 देशों का एक कोर ग्रुप बनाया जाएगा। जो आपस में जानकारियों को साझा करेंगे। फिलहाल अमेरिका के नेतृत्व में फाइव आई नामक ग्रुप संचालित है। ये ग्रुप चीन के खिलाफ साइबर जानकारी अभी साझा करते हैं।

कम्युनिस्ट सरकार का 10 हजार हैकर्स का साइबर सेल

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने 10 हजार हैकर्स का अलग से साइबर सेल बनाया हुआ है। अमेरिकी एजेंसी एफबीआई की 2020 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हैकर्स को फंडिंग भी गुप्त रूप से चीन की सरकार की ओर से दी जाती है। इसका उल्लेख आधिकारिक रूप से नहीं होता है। ये हैकर्स वैसे तो चीन में स्थित मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करते हैं, लेकिन इनका असल मकसद टेक्नोलॉजी को हैक कर चीन सरकार को देना होता है।