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अद्भुत संयोग में,,बरगद व पीपल महाराज के शुभ दर्शन

⏰सतना/रामनगर💥अद्भुत संयोग में,,बरगद व पीपल महाराज के शुभ दर्शन👆🏿जैसा कि हमारे गांवों में सनातन से ही चौगान में नीम व चौराहो में बरगद पीपल,,शान हुआ करते थे,, आज तो तथाकथित स्मार्ट नगरों,शहरों,कस्बो के मुक्तिधाम में वासुदेव मिल जाये बड़ी बात होगी,,आज सोमवती अमावस्या के पुण्य पर्व पर ,अखंड शौभाग्य दायक वट सावित्री ब्रत व पूजन भी है,,साथ ही दुनियॉ जहां ने महा न्याय वादी महाराज शनि देव की जयंती भी है,,कुल मिलाकर शनिचरी अमावस्या भी पुकार सकते,उक्त पुण्य पर्व पर सुहागिनों ने, अक्षत सुहाग के लिए ब्रह्म देव बरगद महाराज का पूजन वंदन किया,इसी सुअवसर पर वासुदेव भगवान पीपल की परिक्रमा (भृमरी) कर माताओं,बहनों,ने समग्र जीवन के कल्याण की प्रार्थना की ,,रामनगर में भी स्थित बरगद व पीपल के पुण्य व्रक्षो पर महिलाओं की अपार उपस्थिति,ने व्रत ,पूजा का मान बढ़ाया ,साथ ही पूजा ग्रहों, मंदिरों नदी किनारों,व तीर्थ स्थलों, डुबकी लगाकर सनातनी जनमानस प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक उपहारों का जश्न मना रहा है,आज के समय मे इन अमृत व्रक्षो की महिमा अनन्त गुनी बढ़ गई है,गर्मी,उमस,व वातावरणीय प्रकोपों का जो अंधड़ चल रहा है,उसका कारण ही छाया दार, हवादार,फलदार पेड़ो का सफाया है,, चौगान की पुस्तैनी नीम काटकर गमले में बोनसाई आरोपित कर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की अनोखी परम्परा ने जमात को सीमेंट व टीने की ठठरी मुहैया करवाई है,,जो बिना ,बिजली,पंखा,कूलर,एसी, वार्मर,के फेल है,हमारे पूर्वज पत्तो की छाया व आसमान के छत्र पर वैभवशाली, गरिमामयी,,जीवन का रसास्वादन करते देखे जा रहे है,,अब तो किसी काम के लिए,एक सार्वजनिक पेड़ ढूढने मीलों चलना पड़ रहा है,,यदि हम अपनी जरूरतों के हिसाब से अपने आसपास फल,फूल,छाया, हवादार ,व औषधीय व्रक्ष आरोपित कर उन्हें अपनी छत्र छाया देकर फलने ,फूलने के सुअसर देकर भी पर्यावरण सुरम्य बना सकते है,लेकिन क्षेत्र की सार्वजनिक जगहों तक को तथाकथितो ने छोड़ा नही है,,निजी का तो क्या कहना ,,अगर हम प्रकृति को संवारेंगे तो सबको प्राकृतिक अनुदानों का सुंदर उपहार मिलता ही रहेगाा।

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