म्यांमार में पुलिस-सरकारी कर्मी भी तख्तापलट के खिलाफ
कई देशों ने तोड़े राजनयिक संबंध
म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुई सेना पर दबाव बढ़ाने के लिए जहां पुलिस और सरकारी कर्मी सड़कों पर उतर आए हैं वहीं कई अमेरिका सहित कई देशों ने म्यांमार के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिए है। बुधवार को म्यांमार में लोगों ने सड़कों पर उतरकर तख्तापलट का विरोध किया। इस दौरान सेना ने उस अस्पताल पर कब्जा कर लिया जिसमें प्रदर्शनकारियों का ईलाज किया जा रहा था। सुरक्षा बलों द्वारा अपदस्थ नेता आंग सान सू की राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय पर छापा भी मारा गया। हजारों सरकारी कर्मचारी भी इन प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं। केह प्रांत में पुलिस से जुड़े एक समूह ने भी विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस बीच पुलिस ने सैंकड़ों प्रद्रशनकारियों को हिरासत में ले लिया।


उधर, राजनयिक संबंधों में कटौती करने एवं आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशों की संख्या लगतार बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कार्यकारी आदेश जारी कर म्यांमार के सैन्य अधिकारियों की अमेरिका में करीब एक अरब डॉलर की संपत्ति तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी एवं आगे और कदम उठाने का वादा किया। उल्लेखनीय है कि अमेरिका पश्चिम के उन कई देशों में शामिल था जिसने पिछले दशक में म्यांमार में सत्ता सैन्य शासन से लोकतांत्रिक सरकार को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया प्रोत्साहित करने के लिए अधिकतर प्रतिबंधों को हटा लिया था। सेना धीरे-धीरे सत्ता नागरिक सरकार को हस्तांतरित कर रही थी लेकिन यह प्रक्रिया नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची और अन्य को हिरासत में लेने के साथ अस्थायी साबित हुई है।
म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया देने वाले देशों में न्यूजीलैंड भी शामिल है जिसने सभी सैन्य एवं उच्च स्तर के राजनीतिक संपर्कों को स्थगित करने के साथ-साथ सैन्य सरकार को या उसके नेताओं को मिलने वाली किसी भी मदद को रोकने की प्रतिबद्धता जताई है। न्यूजीलैंड ने म्यांमार के नए सैन्य शासकों पर यात्रा प्रतिबंध भी लगाए हैं। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (ईयू) की विदेश नीति प्रमुख जोसफ बोरेल ने कहा कि संघ में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 22 से 27 फरवरी के बीच म्यांमा से रिश्तों की समीक्षा करने एवं आर्थिक दबाव बढ़ाने की संभावना पर चर्चा के लिए होगी।
उन्होंने कहा कि म्यांमा की सेना के अधीन काम करने वाले व्यक्तियों एवं कारोबार को लक्षित कर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ विकास मद में दी जाने वाली सहायता में कटौती करने का विकल्प है। वर्ष 2014 से अब तक तक ईयू ने म्यांमा को 85 करोड़ डॉलर की सहायता दी है। जिनेवा से संचालित 47 देशों की सदस्यता वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकर परिषद में म्यांमा संकट से मानवाधिकार पर पड़ने वाले असर पर चर्चा के लिए शुक्रवार को विशेष सत्र प्रस्तावित है। वहीं, मलेशिया एवं इंडोनेशिया के नेताओं ने म्यांमा पर चर्चा करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि संगठन म्यांमा पर फैसले लेने के मुद्दे पर एकजुट होगा या नहीं क्योंकि संगठन की नीति आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की रही है।