अधिकारियों की आवभगत कर 5 वर्षों से मलाई चाट रहा वनरक्षक वन विभाग सतना से लेकर भोपाल तक अगर कोई भी कहीं गिर जाए तो उसकी जानकारी और इसी को मिले या ना मिले लेकिन विष्णु कांत गौतम को जरूर होगी आपको बता दें कि विष्णु कांत गौतम 2016 में आरबी शर्मा डीएफओ के समय में बरौंधा से सतना वन मंडल आए थे उसके बाद से अभी तक यह वन मंडल में ही पदस्थ है जानकारों की माने तो विष्णु कांत गौतम एक दो बार मुकुंदपुर बीट के लिए स्थानांतरण हुआ था लेकिन अपने शातिराना दिमाग का इस्तेमाल कर अधिकारियों से सेटिंग बनाकर स्थानांतरण कैंसिल करा लिया वन विभाग के जुड़े सूत्रों ने बताया कि विष्णुकांत गौतम वन विभाग ऑफिस में सिर्फ बिल बाउचर और अधिकारियों की आओ भगत तक सीमित रह गई है इतना ही नहीं मंत्री से लेकर अधिकारियों को मैनेज करने में काफी माहिर खिलाड़ी बताया जाता है विष्णु कांत गौतम सूत्रों का कहना है कि विष्णु कांत गौतम की एक स्कॉर्पियो भी मुकुंदपुर में लगी हुई है सामान्य से एक वन रक्षक के पास आखिर इतनी संपत्ति कहां से आई आखिर वन विभाग द्वारा पिछले 5 वर्षों मैं इस कर्मचारी को वन मंडल से आखिर कृषि बीच में क्यों नहीं भेजा जा रहा है जबकि लगातार विष्णु कांत गौतम की विभागीय कर्मचारी शिकायत कर रहे हैं अब देखना यह है कि वर्तमान डीएफओ द्वारा इस कर्मचारी के मामले में क्या कार्यवाही की जाती है

आरा मशीनों से वसूली की जानकारी आ रही सामने

वन विभाग के जानकार बताते हैं कि वनरक्षक विष्णु कांत गौतम द्वारा रेंजर अरुण शुक्ला की शह पर नगर निगम क्षेत्र स्थित आरा मशीनों में वसूली करवाई जाती है जिससे शातिर वनरक्षक विष्णु कांत के द्वारा अंजाम दिया जाता है कुल मिलाकर वनरक्षक विष्णु कांत की नौकरी अधिकारियों की आवभगत से चल रही है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विगत दिनों वन मंत्री के आगवन अवसर पर विष्णु कांत गौतम द्वारा वन विभाग के पैसों का काफी दुरुपयोग किया गया है इतना ही नहीं कई फर्जी बिल वाउचर भी इनके द्वारा लगाए गए हैं
शिकायत के बाद स्कॉर्पियो की चल रही जांच
जानकारी के मुताबिक वनरक्षक विष्णु कांत गौतम की स्कॉर्पियो मुकुंदपुर में चल रही है सूत्र बताते हैं कि निगम विरुद्ध तरीके से सेटिंग करके स्कॉर्पियो के नाम पर पैसों के बंदरबांट की शिकायत हुई थी जिसकी जांच का जिम्मा डिप्टी सज्जनपुर को मिला था सूत्रों की माने तो डिप्टी के ऊपर दबाव डालकर जांच को विष्णुकांत गौतम प्रभावित कर रहा है जबकि संबंधित विभाग में नौकरी करने वाले कर्मचारी के नाम से उसी विभाग में गाड़ी लगनी ही नहीं चाहिए