5वें वकील को भी जेल; तहसीलदार का दो दिन में दूसरी बार ट्रांसफर
रायगढ़। छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों और वकीलों के बीच विवाद की भेंट चढ़े तहसीलदार सुनील अग्रवाल को अभी तक स्थाई कुर्सी नहीं मिल सकी है। पिछले दो दिनों में उनका बुधवार देर शाम दूसरी बार तबादला आदेश जारी हो गया है। इस बार उन्हें भू-अभिलेख शाखा में भेजा गया है। यानी एक बार फिर उन्हें रायगढ़ मुख्यालय में ही तैनाती दी गई है। हालांकि उनकी नियुक्ति अस्थाई है। वहीं पिछले 12 दिनों से फरार चल रहे आरोपी वकील महेश पटेल ने सरेंडर कर दिया है। उसे जेल भेज दिया गया है।

अब पांचों आरोपी वकीलों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि इसमें मंगलवार को भुवन साव को हाईकोर्ट से बेल मिल गई थी। महेश को मिलाकर अब चार वकील जेल में है। अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों कहना था कि सरेंडर करने का फैसला पटेल के खुद का था। इसकी जानकारी उन्होंने सुबह संघ के पदाधिकारियों को भी दी थी। इसके पहले जेल में बंद कोमल साव, दीपक मोडक और जितेन्द्र शर्मा की जमानत निचले अदालत में नहीं मिल सकी थी, वे अब हाईकोर्ट जमानत याचिका लगाई गई है।
दूसरी ओर वकीलों के आक्रोश को देखते हुए दो दिन पहले ही तहसीलदार सुनील अग्रवाल का धरमजयगढ़ ट्रांसफर किया गया था। इससे पहले कि वह जॉइन कर पाते फिर से वकीलों का विरोध शुरू हो गया। वकीलों ने कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा और तहसीलदार का ट्रांसफर दूसरे जिले में करने की मांग रख दी। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर उनकी इस मांग पर कलेक्टर संज्ञान नहीं लेते तो इस मामले में पर भी वकील आंदोलन करेंगे।


भोज कुमार फिर धरमजयगढ़ भेजे गए
बताया जा रहा है कि इसके बाद वकीलों और कलेक्टर की दो राउंड की बातचीत चली, फिर बुधवार देर शाम सुनील अग्रवाल का धरमजयगढ़ तबादला निरस्त कर उन्हें मुख्यालय में भू-अभिलेख शाखा की अस्थाई जिम्मेदारी सौंप दी गई। पूर्व तहसीलदार भोज कुमार डहरिया को ही वापस धरमजयगढ़ भेजा गया है। वहीं सुनील अग्रवाल के ज्वाइन नहीं करने के कारण इसे तकनीकी संशोधन भी कहा जा रहा है। दूसरी ओर रायगढ़ के नए तहसीलदार पर डिप्टी कलेक्टर गगन शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है।

पूरा विवाद 12 दिन पहले हुए वकीलों और राजस्व कर्मचारियों के बीच मारपीट से जुड़ा है। वकीलों ने उस दौरान आरोप लगाया था कि तहसीलदार सुनील कुमार अग्रवाल ने उनके साथ बदसलूकी की है। जिसके चलते ये पूरा विवाद हुआ। घटना के बाद से राज्यभर के तहसीलदार आंदोलन पर चले गए थे। वहीं वकीलों ने भी राजस्व कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मारपीट के आरोप में कुछ वकीलों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है।

अब कांकेर में भड़की विरोध की आग
अब कांकेर में वकीलों और तहसीलदार का विवाद हो गया है। आरोप है कि पिछले सप्ताह रायगढ़ की घटना को लेकर कांकेर में तहसीलदार सहित राजस्व कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया था। इसमें मौजूद तहसीलदार आनंद नेताम, नायब तहसीलदार परमानंद बंजारे, रीडर शरद शर्मा समेत कुछ पदाधिकारियों ने अपने भाषण में वकीलों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है। विरोध में वकीलों ने रैली निकाल थाने में शिकायती पत्र दिया और कार्रवाई होने तक राजस्व कोर्ट का बहिष्कार कर दिया है।