जो काम अच्छे-अच्छे इंजीनियर और बड़े-बड़े अफसर नहीं कर सके वो एक मिस्त्री ने कर दिखाया। वो भी ऐसा काम जो स्वयं महादेव का था जो एक मुस्लिम मिस्त्री के हाथों पूरा हुआ। यहां बात की जा रही है मंदसौर में स्थापित किए जा रहे सहस्त्रेश्वर महादेव शिवलिंग की।इसकी स्थापना में सबके पसीने छूट गए लेकिन मिस्त्री मकबूल ने मिनटों में समस्या हल कर दी।मकबूल की सूझबूझ काम आयी। इस तरह से जिस काम के लिए आला अफसर-इंजीनियर घंटों से परेशान हो रहे थे, वो काम मिनटों में हो गया। शिव सहस्त्रेश्वर महादेव जलाधारी में स्थापित हो गए।

मंदसौर। मंदसौर के प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में सहस्त्रेश्वर महादेव की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. लगभग 2 हज़ार साल पुराना ये शिवलिंग स्वरूप ढाई टन वजनी, 6.50 फीट लंबा और इतनी ही गोलाई का है। शिव के इस नए स्वरूप को जलाधारी यानि जिलहरी में स्थापित किया जाना था। इसे क्रेन की मदद से जिलहरी में उतारा जाना था।कलेक्टर गौतम सिंह ने पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जिला पंचायत सहित सभी विभागों के इंजीनियर्स को बुलाया. लेकिन कोई नहीं बता पाया कि आखिर शिवलिंग को जिलहरी पर कैसे उतारा जाए।

सबकी परेशानी और चर्चा वहां काम कर रहे मकबूल नाम के एक मिस्त्री भी सुन रहे थे। उन्होंने ऐसा उपाय बताया कि जो अच्छे-अच्छे इंजीनियर और अधिकारियों को भी नहीं सूझा था। कभी स्कूल नहीं गए। इसलिए उनकी कोई शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि शिवलिंग को जिलहरी में जिस जगह स्थापित करना है वहां पर अगर बर्फ रख दिया जाए तो जिलहरी को कोई नुकसान नहीं होगा और शिवलिंग भी सुरक्षित रहेगा। जैसे जैसे बर्फ पिघलेगा वैसे वैसे भगवान शिव अपने आप जिलहरी में प्रवेश कर जाएंगे।


मकबूल की सूझबूझ काम आयी. वैसा ही किया गया, और जिस काम के लिए आला अफसर-इंजीनियर घंटों से परेशान हो रहे थे वो काम मिनटों में हो गया। शिव सहस्त्रेश्वर महादेव जलाधारी में स्थापित हो गए। मकबूल यहां बन रहे नए मंदिर परिसर में ही काम कर रहे हैं। वो कभी स्कूल नहीं गए हैं। उन्होंने कहा अल्लाह ईश्वर एक ही है. और मुझे बहुत खुशी है कि मेरे हाथों से यह पुनीत काम हुआ है।

मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि शिवलिंग को जिलहरी में स्थापित करने के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ी. सभी इंजीनियर बुला लिए, सभी अधिकारी लग गए लेकिन कोई उपाय नहीं दिख रहा था,मकबूल भाई आए और उन्होंने यह काम आसानी से कर दिया। ऐसा लगा था कि इस काम के लिए उन्हें भगवान ने ही भेजा है।सहस्त्रेश्वर महादेव शिवलिंग भी पशुपतिनाथ महादेव की तरह शिवना नदी से ही प्रकट हुआ है। ये कई साल तक मंदिर परिसर में ही रखा हुआ था. अब जिला प्रशासन, मंदिर प्रबंध समिति और जन सहयोग से इसे पशुपतिनाथ महादेव मंदिर परिसर में बनाए जा रहे नये मंदिर में स्थापित किया जा रहा है।
इस शिवलिंग में हजारों शिवलिंग बने हुए हैं। इस पर कोलकाता से आए कारीगरों ने वज्रलेप किया है। आने वाले समय में पशुपतिनाथ मंदिर न सिर्फ नए स्वरूप में होगा। अब यहां पर भगवान पशुपतिनाथ महादेव के साथ ही सहस्त्रेश्वर महादेव के दर्शन भी भक्त कर पाएंगे।