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कोयला माफिया दे रहे चोरी को बढ़ावा : 2 रूपए किलो में खरीद रहे कोयला चोरों से कोयला

* कोयले की अवैध तस्करी की वजह से 10 से अधिक ईंट भट्‌ठे खुल गए

* ग्रामीणों से 400 रुपए रोजी में 30 फीट गहरी खदान से चोरी करा रहे कोयला

अंबिकापुर। महान टू कोल माइंस से ग्रामीणों के माध्यम से माफिया कोयला चोरी को अंजाम दे रहे हैं, और दुप्पी चौरा व रेवतपुर गांव स्थित चिमनी ईंट भट्ठों से तस्करी की जा रही है। सैकड़ों ग्रामीण खदान से कोयला चोरी करते हैं। इसके बाद उसे कोल माफिया पिकअप और ट्रक में लोडकर फर्जी कोयला के दस्तावेज के माध्यम से दूसरे राज्यों और शहरों में भेज रहें हैं। यही हाल महान 3 कोल माइंस का भी है, लेकिन एसईसीएल और पुलिस अफसर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। 

माइंस की स्थिति

टीम महान 2 कोल माइंस के बाहर पहुंची तो सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष जान जोखिम में डाल कोयले की सिल्ली लेकर फेंसिंग व दीवार को फांद कर बाहर निकल रहे थे। इसके बाद कुछ लोग कोयला एक जगह इकट्‌ठा कर रहे थे। थोड़ी देर बाद कोल माफिया की गाड़ी मौके पर पहुंची और कोयला लोड कर ले जाने लगे।

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मौके पर ज्यादातर ग्रामीण साइकिल व बाइक से भी कोयला लेकर ईंट भट्ठों में लेकर जाते देखे गए। ग्रामीणों ने बताया कि उनसे भट्ठा में कोयला दो रुपए किलो लिया जाता है। इसके एवज में उन्हें हर रोज 200 सौ से 400 रुपए मिल जाते हैं। इसकी जानकारी पूरे गांव को है और एसईसीएल के अफसरों को भी, लेकिन माइंस के सुरक्षा कर्मी भी कोल माफिया के दहशत के चलते उन्हें रोकना नहीं चाहते। वहीं पुलिस भी माफिया की राजनैतिक पहुंच के कारण इस मामले में हाथ डालने से घबराती है।

महान टू कोल माइंस के अंदर कोयला चोरी के लिए तस्करों द्वारा भेजे गए ग्रामीण, इनमें महिला -पुरुषों के अलावा नाबालिग लड़के-लड़कियां भी हैं।
महान टू कोल माइंस के अंदर कोयला चोरी के लिए तस्करों द्वारा भेजे गए ग्रामीण, इनमें महिला -पुरुषों के अलावा नाबालिग लड़के-लड़कियां भी हैं।

अफसर ईंट भट्ठों में नहीं करते स्टॉक की जांच
भट्ठा मालिक अधिक कोयला होने पर बिक्री करते हैं, तो अपने लिए भी उपयोग में ला रहे हैं। इसमें खनिज विभाग के अफसरों की भी लापरवाही है, वे कभी इसकी जांच नहीं करते है। साल भर में जितना ईंट उत्पादन हुआ है। उसे पकाने में कितने कोयले की खपत है। कोयला कहां से यहां पहुंच रहा है। इसकी जांच करने की बजाए सिर्फ कागजी कोरम पूरा किया जाता है। कई भट्ठों में तो अवैध कोयला को 10 फीट तक गहरे गड्ढें में भरकर रखा जाता है, और उसके ऊपर तिरपाल के बाद मिट्टी डाल कर पैक रखा जाता है, ताकि बड़ी कार्रवाई हो तो न पकड़े जा सकें।

दो रुपए किलो में कोयला बेच रहे, 3 टन 6 हजार में
ग्रामीणों ने बताया कि वे चोरी कर कोयला घर ले आते हैं, और माफिया रात में पिकअप, टीपर वाहन लेकर आते हैं। इसके बाद उसे लोड करते हैं और एक पिकअप कोयला जो करीब तीन टन होता है। उसे 6 हजार में खरीदते हैं। इस दौरान यदि किसी अफसरों को जानकारी भी दी जाती है तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और राजनैतिक दबाव से सूचना के बाद अफसर कार्रवाई नहीं करते हैं, दो दिन पहले भफोली स्थित एक ईंट भट्ठे में ग्रामीणों के घर से कोयला लोड करने की सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई जिम्मेदारों द्वारा नहीं की गई।

बलरामपुर के अफसरों ने फोन नहीं किया रिसीव
बलरामपुर जिले के जिला खनिज अधिकारी कुमार मंडावी और खनिज निरीक्षक सुब्रत शाना को इस मामले में उनका पक्ष लेने लगातार दो दिन तक फोन पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन न तो वे दफ्तर में मिले और न ही उनके मोबाइल फोन से संपर्क हो सका। इसी से इन अफसरों की लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। सूरजपुर जिले के खनिज अधिकारी संदीप नायक ने एक दिन बाद कार्रवाई की बात कही है। अब देखना यह है कि उनके द्वारा कार्रवाई का आश्वासन कब पूरा होता है।